Breaking News

सतत विकास के लिए जनसंख्या नीति

जनसंख्या नियंत्रण का विषय केवल वर्तमान से ही संबंधित नहीं है। इसमें भावी पीढ़ी के कल्याण का विचार भी समाहित है। प्रकृति ने मानव को असीमित संसाधन प्रदान नहीं किये है। एक सीमा से अधिक जनसँख्या सभी लोगों के जीवन को किसी ना किसी रूप में प्रभावित करती है। सतत विकास के लिए जनसँख्या नियंत्रण आवश्यक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसँख्या नीति विमोचन के दौरान सतत विकास के लक्ष्यों के उल्लेख किया था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ वर्ष पहले सतत विकास के लक्ष्यों के निर्धारण किया था। इनको सभी देशों के लिए उपयोगी बताया गया था।

भारत के लिए यह गौरव की बात थी। क्योंकि इन विकास लक्ष्यों में महात्मा गांधी का चिंतन समाहित था। महात्मा गांधी ने स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान ही मानव कल्याण के दृष्टिगत अर्थव्यवस्था का विचार दिया था। प.दीनदयाल उपाध्याय ने भी अंत्योदय व एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया था। इसमें भी सतत विकास के लक्ष्य थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा में संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों पर चर्चा की गई थी। तब यह तथ्य सामने आया कि इसमें महात्मा गांधी व दीनदयाल उपाध्याय की अर्थनीति के तत्व है। इन महापुरुषों के विचार वस्तुतः प्राचीन भारत के चिंतन पर ही आधारित थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसँख्या नीति का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व को वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य दिया गया है। प्रधानमंत्री श् नरेन्द्र मोदी के द्वारा देश में इन सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में देश की सबसे बड़ी आबादी के प्रदेश द्वारा भी इस दिशा में आवश्यक रूप से प्रयास करना होगा। गांधी जयन्ती के अवसर पर राज्य विधान मण्डल द्वारा सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रिकॉर्ड छत्तीस घण्टे तक लगातार चर्चा की गयी थी। चर्चा के उपरान्त सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय हेतु समितियां गठित की गयीं। इस सम्बन्ध में प्रगति की मंत्रिमण्डल के एक समूह द्वारा समीक्षा की जाती है। सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में इनके सम्बन्ध में जनसमुदाय में जागरूकता के भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य और उद्देश्य में वह बिंदु समाहित है जिन्हें हासिल करने का गांधी जी ने सदैव प्रयास किया। गरीबों को देखकर ही उन्होंने अपने ऊपर न्यूनतम उपभोग का सिद्धान्त लागू किया था। इससे वह कभी भी विचलित नहीं हुए। संयुक्त राष्ट्र संघ से सतत विकास प्रस्तावों में गरीबी, भुखमरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और खुशहाली, शिक्षा,लैंगिक समानता, जल एवं स्वच्छता, ऊर्जा,आर्थिक वृद्धि और उत्कृष्ट कार्य, बुनियादी सुविधाएं,उद्योग एवं नवाचार,असमानताओं में कमी,संवहनीय शहर, उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु कार्रवाई, पारिस्थितिक प्रणालियां, शांति,न्याय,भागीदारी के विषय शामिल है।

इनको ध्यान से देखें तो यही गांधी चिंतन के मूल आधार है। वह ऐसा विश्व चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा,कुपोषण, बीमारी,असमानता भुखमरी न हो। इन्हीं पर तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी जोर दिया। गांधी का सपना समता मूलक समाज था। वह विश्व को अधिक संरक्षित बनाना चाहते थे। शांति,न्याय, पर्यावरण संरक्षण को वरीयता देते थे। वह समस्याओं के निराकरण में सबकी भागीदारी चाहते थे। समाज में सक्षम व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह निर्बलों की सहायता करे। अपने को संम्पत्ति का ट्रस्टी समझे।

इसी प्रकार धनी देश अविकसित देशों की सहायता करे। गांधी चिंतन की भावना थी कि कोई पीछे न छूटे। संयुक्त राष्ट्र संघ का भी यही विचार है। इस लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करना आवश्यक है। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जनसँख्या का नियंत्रण भी आवश्यक है। महात्मा गांधी भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक महापुरुष थे। विश्व में कहीं भी जब अहिंसा, स्वतंत्रता,मानवता, सौहार्द,स्वच्छता,गरीबों की भलाई आदि का प्रसंग उठता है,तब महात्मा गांधी का स्मरण किया जाता है। भारत को स्वंतंत्र कराने में उन्होंने अपना जीवन लगा दिया। फिर भी वह अंग्रेजों से नहीं उनके शासन से घृणा करते थे, उनके शासन की भारत से समाप्ति चाहते थे। यह उनका मानवतावादी चिंतन था। वह पीर पराई को समझते थे। उसका निदान चाहते थे। इन्हीं गुणों ने उन्हें विश्व मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने सत्रह प्रस्तावों को घोषणा की थी। इनके मूल में गांधीवाद की ही प्रतिध्वनि थी। यही कारण था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा ने इस बार गांधी जयंती को ऐतिहासिक बनाने का निर्णय किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित की पहल पर छत्तीस घण्टे के सत्र का प्रस्ताव किया गया था। यह सार्थक रहा था। उसी समय प्रदेश सरकार ने इस पर अमल की कार्ययोजना बनाई थी। लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जनसँख्या को नियंत्रित रखना भी आवश्यक है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दो बच्चों के मध्य अन्तराल न होने पर उनके पोषण पर प्रभाव पड़ेगा। इससे मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर के लक्ष्य प्राप्त करने में कठिनाई होगी। विगत वर्षां में इनसे सम्बन्धित लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों में अच्छी सफलता मिली है, किन्तु इन प्रयासों को अभी और प्रभावी बनाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या स्थिरता की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के साथ ही यह भी ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है कि इसका देश की जन सांख्यकी पर विपरीत प्रभाव न पड़े।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जनसंख्या स्थिरता की दिशा में अनेक उपयोगी योजनाएं लागू की हैं। इन योजनाओं को अन्तर्विभागीय समन्वय के माध्यम से प्रभावी ढंग से लागू किये जाने की आवश्यकता है। इन योजनाओं को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के साथ ही बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग, शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न विभागों तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं के पारस्परिक समन्वय के साथ लागू किया जाना चाहिए। विगत चार वर्षां में राज्य में टोटल फर्टिलिटी रेट मैटरनल मॉर्टेलिटी रेशियो एवं इन्फैण्ट मॉर्टेलिटी रेट को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास हुए हैं। इन प्रयासों में पर्याप्त सफलता भी प्राप्त हुई है।

About Samar Saleel

Check Also

शाहजहांपुर के मिर्जापुर में उमड़ी किसानों की भीड़, पुलिस ने कराया वितरण

शाहजहांपुर के मिर्जापुर स्थित साधन सहकारी समिति में गुरुवार को सुबह से ही खाद का ...