नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद अधिनियम (अयोग्यता निवारण) 1959 में बदलाव की तैयारी की है। सरकार इस कानून में शामिल लाभ के पद के चलते सांसदों को अयोग्य ठहराने की बाध्यता समाप्त करने को लेकर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि इसके बजाय सरकार एक नया कानून लाने की योजना बना रही है। जिसके तहत लाभ के पद को लेकर सांसदों की अयोग्यता न तय की जा सके।
केंद्रीय विधि मंत्रालय ने 16वीं लोकसभा में कलराज मिश्र की अध्यक्षता वाली लाभ के पदों को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेसीओपी) की ओर से की गई सिफारिशों के आधार पर संसद (अयोग्यता निवारण) विधेयक 2024 का मसौदा तैयार किया है। इसमें संसद अधिनियम (अयोग्यता निवारण) 1959 की धारा तीन को खत्म करके लाभ के पदों की सूची को हटाना है। इसमें मौजूदा अधिनियम और कुछ अन्य कानूनों के बीच टकराव को दूर करने का भी प्रस्ताव है।
नए विधेयक में कुछ मामलों में अयोग्यता के अस्थायी निलंबन से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 4 को हटाने का भी प्रस्ताव है। इसकी जगह पर केंद्र सरकार को अधिसूचना जारी करके अनुसूची में संशोधन करने का अधिकार दिया गया है। विधेयक को लेकर मंत्रालय के विधायी विभाग ने जनता से राय भी मांगी है।
इसमें यह भी कहा गया है कि संसद (अयोग्यता निवारण) अधिनियम, 1959 को इसलिए बनाया गया था कि सरकार के अधीन लाभ के कुछ पद धारकों को संसद सदस्य बनने या चुने जाने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा। हालांकि अधिनियम में उन पदों को भी शामिल किया गया है जिनसे धारक को अयोग्यता नहीं होगी तथा उन पदों की गणना भी की गई है, जिनके धारक को अयोग्यता होगी।
16वीं लोकसभा के दौरान जेसीओपी ने कानून की व्यापक समीक्षा की और एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति ने विधि मंत्रालय द्वारा वर्तमान कानून के अप्रचलित तथ्यों को ध्यान में रखने पर जोर दिया था। समिति ने कहा था कि लाभ के पद शब्द की एक सही परिभाषा बनाई जाए। इसमें भाषा और प्रारूप को सरल बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया।