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पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कार्बन टैक्स लगाने की जरूरत- प्रो सनातन नायक

अयोध्या। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में पीएम उषा के साफ्ट कंपोनेंट के अन्तर्गत अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में पर्यावरणीय अर्थशास्त्र विषय पर पांच दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि बाबा साहब अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ, अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं भारतीय पारिस्थितिकी समाज के कार्यकारी सदस्य प्रो सनातन नायक ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने में हरित ऊर्जा और प्रौद्योगिकी की भूमिका विषय पर बोलते हुुए कहा कि हरित ऊर्जा का उपयोग ही जलवायु परिवर्तन को रोकने का एकमात्र विकल्प है।

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उन्होंने ऊष्मागतिकी के नियमों की व्याख्या करते हुए पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कार्बन टैक्स लगाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी जिससे ऊर्जा उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके।

पर्यावरणीय संरक्षण के लिए कार्बन टैक्स लगाने की जरूरत- प्रो सनातन नायक

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो आशुतोष सिन्हा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक समृद्धि के मध्य सामंजस स्थापित करना ही पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की प्रमुख चुनौती है। पर्यावरणीय सुरक्षा के संरक्षण के लिए समस्त राष्ट्र एवं संपूर्ण विश्व को अपने स्तर से योगदान देना होगा। अन्यथा संपूर्ण मानवता एवं अन्य प्रजातियों के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे। ये वर्तमान ही नहीं भविष्य की पीढ़ी के लिए भी अहितकारी होगा।

कार्यक्रम के द्वितीय तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए विवि के पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार चैधरी ने ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की सतत एवं संतुलित विकास के संबंध में अपने विचार प्रकट किए। कार्यशाला के तृतीय एवं अंतिम सत्र में डॉ मुकेश पांडे सहायक आचार्य साकेत पीजी कॉलेज ने प्रतिभागियों को विषय से संबंधित प्रयोगात्मक तकनीक एवं प्रशिक्षण दिया गया।

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कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास की प्रो मृदुला मिश्रा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रिया कुमारी ने किया। अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रो विनोद कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में डाॅ अवध नारायन, डाॅ सुरेन्द्र मिश्र, डॉ अलका श्रीवास्तव, डॉ मीनू वर्मा, डॉ अजय कुमार मौर्य सहित बड़ी संख्या में स्नातक, परासनातक एवं पीएचडी शोधार्थी मौजूद रहे।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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