लखनऊ। प्रमुख शिक्षाविदों और मनोवैज्ञानिकों के बीच हुयी संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये मुख्य अतिथि जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) के प्रमुख निदेशक डॉ. संजीव पी साहनी ने मनोवैज्ञानिकों को क्षेत्र में बदलते दृष्टिकोणों के साथ तालमेल रखने के लिए नई अनुसंधान तकनीकों, प्रथाओं और उपकरणों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि मनोविज्ञान न केवल ’इलाज’ है बल्कि ’संभावनाओं’ का विज्ञान है।
डॉ. संजीव पी साहनी ने इस बात पर जोर दिया कि मनोविज्ञान की मदद से सामाजिक रिश्तों और संवाद के पीछे की मानसिकता को समझा जा सकता है और व्यक्ति को मनोविज्ञान और समाजशास्त्र और अन्य विज्ञानों के दायरे में रखते हुए व्यक्ति और समाज के बीच संबंधों को समझा जा सकता है। मनोविज्ञान और संबद्ध विज्ञानों में हुई प्रगतियों ने बौद्धिक और मानसिक नुकसान के कारण होने वाले भावनात्मक विकारों से लेकर विभिन्न मानव व्यवहारों को मापने के लिए बेहतर साधनों, विधियों और तकनीकों के विकास का नेतृत्व किया है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, डॉ. साहनी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मनोविज्ञान का विविध तरीकों से हमारे जीवन में गहरा प्रभाव है। डॉ. साहनी ने कहा यह एक विज्ञान है जो हमारे और बाहर की दुनिया के बीच व्यक्तिगत, सामाजिक और पर्यावरणीय संबंध का अवलोकन करने में मदद कर सकता है। क्षेत्र की विविधता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह व्यक्तियों, दम्पतियों, परिवारों और समुदायों से लेकर अस्पतालों, स्कूलों, मानसिक स्वास्थ्य संगठनों, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संगठनों संस्थानों जैसे सभी संस्थानों का अध्ययन करता है।
उन्होंने कहा, मनोविज्ञान को केवल संज्ञानात्मक उपचारों के विज्ञान के रूप में सोचने के बजाय, इसे शिक्षाविदों के एक क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिए, जो शिक्षा, व्यवसाय आपराधिक प्रणालियों और कानून में एप्लाइड साइकोलॉजीके हस्तक्षेप के माध्यम से हमारे दैनिक जीवन को बेहतर बनाता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डॉ. साहनी ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के शोध-नेतृत्व वाला, भविष्य-उन्मुख स्कूल जिंदल स्कूल ऑफ साइकोलॉजी एंड काउंसलिंग (जेएसपीसी) की स्थापना के बारे में बताया, जिसका लक्ष्य मनोविज्ञान और काउंसलिंग के क्षेत्र में थाउट लीडर्स की नई पीढ़ी के विकास पर ध्यान केंद्रित करना है।
डॉ. साहनी ने नवोदित मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं से इस क्षेत्र में बदलते दृष्टिकोणों के साथ तालमेल रखने के लिए नई अनुसंधान तकनीकों, प्रथाओं और उपकरणों के बारे में जानने का भी आग्रह किया। उन्होंने मनोवैज्ञानिक ज्ञाताओं को विकासात्मक और संज्ञानात्मक मनोविज्ञान, भावात्मक तंत्रिका विज्ञान और मनोविकृति विज्ञान में अनुसंधान के लिए जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज के ब्रेन बिहेवियर लेबोरेटरी (बीबीएल) का उपयोग करने की पेशकश की।