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मरीज की जान खतरे में डालकर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में लगाए टांके

फिरोजाबाद। प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ितों को समुचित इलाज देने के दावे तब हवा हवाई साबित होते दिखे जब अंधेरे में मोबाइल टोर्च की रोशनी में मरीजो का इलाज होते हुए दिखा। मरीजों की सुरक्षा को लेकर अस्पताल प्रशासन कितना सजग है और संवेदनशील है इसकी एक बानगी फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर में देखने को मिला। जहां एक तरफ योगी सरकार स्वास्थ विभाग को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ विभाग के कर्मचारी और डॉक्टर उसमें पलीता लगाने का कार्य कर रहे है।

ऐसा ही एक मामला बीती रात्रि हाल में ही बने मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर में देखने को मिला जहां एक्सीडेंट में घायल व्यक्ति को भर्ती कराया गया था। जब दुर्घटना में घायल युवक को भर्ती कराया गया था तो ट्रामा सेंटर में अंधेरा पड़ा हुआ था। घायल को पर्याप्त उपचार मिले, इसके लिए ट्रामा सेंटर में बिजली की समुचित व्यवस्था और न ही इन्वर्टर की। इतना ही नहीं अस्पताल में लगा जनरेटर भी ठप पड़ा हुआ था। इन सबके बावजूद धरती के भगवान भी इतने लापरवाह बने हुए थे कि अंधेरे में ही घायल का उपचार मोबाइल टोर्च की रोशनी में करने लगे। घायल युवक के परिजन की माने तो मोबाइल टोर्च में ही घायल के टांके भी लगा डाले, लेकिन मरीज की जान खतरे में डाल कर।

अब सवाल यह है कि, अस्पताल में जनरेटर होने के बावजूद उसे क्यों चालू नहीं करवाया गया? क्यों मरीज की जान को खतरे में डाल कर इलाज किया गया? इस पूरे मामले पर मेडिकल कालेज प्रशासन कुछ भी कहने से बचता दिख रहा है। एक अहम सवाल यह भी है कि क्या हर बार की तरह ही अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की लापरवाही का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा या फिर जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही की जाएगी ताकि अन्य लोगों को भविष्य के लिए सबक मिल सके।

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