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राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद आह्वाहन पर हुआ भारत छोड़ो आंदोलन दिवस

रायबरेली। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की जनपद शाखा के अध्यक्ष राजेश सिंह एवं मंत्री राजकुमार नेता द्वय ने प्रधान मंत्री भारत सरकार से अनुरोध किया कि भारत मे राष्ट्रीय वेतन प्रणाली लागू कि जाय। भारत के समस्त प्रान्तों के कर्मचारियों के समान कार्य समान वेतन प्रणाली लागू हो संविदा एवम आउट सोर्सिंग के कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति की जाय पुरानी पेंशन योजना पुनः लागू हो। परिषद के अध्यक्ष ने मांग की की दो वर्ष पूर्व माननीय मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुए समझौतों का शासनादेश जारी किया जाय।

विगत दो वर्षों से संगठन प्रतिनिथ व मुख्य सचिव से वार्ता नही हुई है जल्द प्रतिनिधि मण्डल से वार्ता कर समस्याओ का समाधान कराया जाय। परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय मधेसिया एवम संप्रेक्षक अजय कुमार सक्सेना ने अनुरोध किया कि ठेका प्रथा बन्द किया जाय।

डीए का एरियर 2020 से भुगतान किया जाय। फार्मासिस्ट फेडरेशन की जिला मंत्री दृगपाल वर्मा ने अपने वक्तब्य में कहा कि निजीकरण ब्यवस्था समाप्त होना चाहिये। करोना वारियर्स की वेतन विसंगतिया दूर किया जाय एवम नियमित नियुक्ति किया जाय। साथ ही समस्त संवर्गो का पुनर्गठन करते हुए पुनः मानकी करण करते हुए नियमित नियुक्तियां किया जाय फार्मेसी एक्ट के अनुपालन सुनिश्चित कराया जाय।

यह रही मांगे

1 – जिन राज्यों में अभी तक महंगाई भत्ते के भुगतान पर लगी रोक हटाई नहीं गयी है, तत्काल बहाल कर समस्त प्रदेषों में महंगाई भत्ते के एरियर का भी भुगतान कर दिया जाय।
2 – ‘‘एक देश-एक वेतन’’ देने पर विचार कर निर्णय कराएं इससे आए दिन होने वाले झगड़े समाप्त हो जाएंगे।
3 – केरोना बीमारी में लगे कर्मचारियों की मृत्यु पर 50 लाख रुपए की अनुग्रह धनराशि शीघ्र ही उस परिवार के बैंक खाते में डाल दिया जाए, क्योंकि बीमा कंपनी द्वारा टालमटोल किया जा रहा है। इसके साथ ही उनके आश्रित को नियमित नियुक्ति, पारिवारिक पेंशन एवं समस्त देयों का भुगतान तत्काल कर दिया जाए।
4 – रिक्त पदों पर भर्ती एवं पदोन्नतियाँ एक माह में कर दी जाए, नियुक्तियों में संविदा व आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को वरीयता दी जाय।
5 – माह जून में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को 1 जुलाई को लगने वाले वार्षिक वेतन वृद्धि को जोड़कर पेंशन निर्धारित किया जाए इस बिंदु पर माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के भी स्पष्ट आदेश है इससे अपूरणीय आर्थिक क्षति हो रही है।
6 – एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए।
7 – निजीकरण पर रोक लगाए जाए।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा

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