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राजनाथ की रूस यात्रा

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
कोरोना के कारण प्रत्यक्ष द्विपक्षीय शीर्ष वार्ताओं पर भी विराम लगा था। इसके दृष्टिगत होने वाली नेताओं की विदेश यात्राएं स्थगित थी। इसलिए सीधे संवाद की स्थिति नहीं बन रही थी। ये बात अलग है कि वैश्विक संकट के इस दौर में भी चीन व पाकिस्तान जैसे देशों की हिंसक गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ा था। इन्हें जब अपने सैनिकों की ही चिंता नहीं थी,तब किसी अन्य को इनसे क्या उम्मीद हो सकती थी। भारत ने भी इनकी हरकतों का माकूल जबाब दिया,इस कारण इनके हिंसक तेवर में नरमी दिखाई दे रही है। इस क्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की रूस यात्रा का भी अपरोक्ष महत्व है। यदि सामान्य स्थिति होती तो उनकी यह यात्रा स्थगित हो सकती थी। लेकिन चीन की हरकतों को देखते हुए ईद यात्रा सामयिक हो गई थी।

राजनाथ सिंह ने राष्ट्र हित को सर्वोच्च महत्व दिया। उन्होंने कोरोना संकट की चिंता नहीं की, रूस के आमंत्रण को स्वीकार किया। औपचारिक रूप में यह वहां आयोजित होने वाले समारोह का आमंत्रण था। राजनाथ सिंह इसमें शामिल होने गए। लेकिन मुख्य रूप से इस यात्रा का सामरिक महत्व था। राजनाथ सिंह की वहाँ द्विपक्षीय वार्ता हुई। जिसमें रक्षा डील के अनुसार भारत को शीघ्र हथियार आपूर्ति पर विचार किया गया। इसके अलावा रूस ने भारत चीन विवाद पर अपना रुख भी स्पष्ट किया। यह भारत की कूटनीतिक सफलता थी। रूस का बयान भारत की मान्यत के अनुरूप था। इसके साथ ही रूस यथाशीघ्र हथियारों की सप्लाई के लिए तैयार हुआ है। इसमें कोरोना संकट के चलते व्यवधान हुआ है। राजनाथ सिंह की रूस यात्रा की यह बड़ी उपलब्धि है। यह भी कहा जा सकता है कि भारत को रूस का साथ मिला है। दोनों देशों के पहले भी बहुत मजबूत संबन्ध रहे है।

पीएम नरेंद्र मोदी सरकार भारत की रक्षा तैयारियों के प्रति बहुत गम्भीर रही है। इस दिशा में हथियार और ढांचागत निर्माण के संबन्ध में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। सरकार के प्रयासों से पिछले दिनों राफेल विमान समझौता हुआ था। बताया जाता है कि चीन इस समझौते को रोकने को प्रयास कर रहा था। इसके लिए उसने अनेक हथकण्डे अपनाए थे। लेकिन उसका मंसूबा पूरा नहीं हुआ। राजनाथ सिंह ने विजयदशमी के दिन फ्रांस में भारत को मिलने वाले राफेल विमान का परंपरागत पूजन किया था। इससे भी दुनिया को सन्देश दिया गया। यह बताया गया कि भारत शांतिवादी देश है, लेकिन वह अपने ऊपर आंख उठा कर देखने वाले को मुंहतोड़ जबाब भी देगा। राजनाथ सिंह मॉस्को में आयोजित होने वाली विजय दिवस परेड में भी सम्मलित हुए। यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत की पछत्रहवीं वर्षगांठ के उपलब्ध में आयोजित की गई थी। राजनाथ सिंह की इस यात्रा से स्पष्ट है कि अपनी तैयारियों में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता।

चीन को सामरिक व कूटनीतिक दोनों रूप से जबाब दिया जाएगा। रूस ऐंटी मिसाइल सिस्टम एस फोर हंड्रेड को भेजने पर सहमत हुआ है। करीब दो वर्ष पहले भारत ने रूस के साथ लगभग पांच अरब डॉलर का समझौता किया था। वैश्विक कोरोना महामारी के कारण इसकी आपूर्ति में बिलंब हुआ है। ऐसा भी नहीं कि भारत ने कूटनीतिक प्रयास को अपनी तरफ से बन्द कर दिया है। वह चीन के चुशुल मोल्दो में लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता में शामिल हुआ। चीन ने हिंसक झड़प में अपने कमांडिंग ऑफिसर सहित अनेक सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की है। वह अपने सैनिकों को पहले की स्थिति में रखने पर सहमत हुआ है। भारत ने चीन साफ कहा था कि पहले लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी से अपने सेना हटाकर दो मई से पहले की स्थिति बहाल करनी होगी,तभी आगे की बातचीत संभव है। इस बैठक का आग्रह चीन ने ही किया था। वैसे पिछली बैठक में बनी सहमति का चीन ने पालन नहीं किया था। पहले चीन अपने नुकसान को छिपा रहा था।​ इस झड़प में मारे गए सैनिकों की संख्या अभी भी चीन ने नहीं बताई है लेकिन कमांडिंग ऑफिसर की मौत होने की बात स्वीकार करके इस बात की सम्भावना बढ़ा दी है कि वह मारे गए सैनिकों की संख्या बता देगा। यह बताया गया कि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद​ ​चीन को ​​पांच ​सैन्य अधिकारियों समेत ​​छब्बीस सैनिकों के शव और सत्तर घायल सैनिक सौंपे गए​ थे। ​जिसकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई है​।​ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रूस से इस पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए थे।

रूस के मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुशकिन ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते सैन्य करारों के क्रियान्वयन में कुछ विलंब हुआ है। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए यह करार किया था। एस फोर हंड्रेड हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ समझौता हुआ था। यह ऐंटी मिसाइल सिस्टम से रेडार से बचने की चाल को नाकाम करता है। यह दो सौ तीस किलोमीटर तक सटीक निशाना लगा सकता है। यह दुनिया सबसे बेहतरीन ऐंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इससे क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को ध्वस्त किया जा सकता है। रक्षमन्त्री ने ठीक कहा कि रूस के साथ एक विशिष्ट और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी है। हमारे रक्षा संबंध इसके महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक हैं। रूस ने भी भारतीय रक्षमन्त्री की विदेश यात्रा को विशेष महत्व दिया।
रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर चर्चा हुई। रूसी उप प्रधानमंत्री कोरोना महामारी की पाबंदियों के बाद भी राजनाथ सिंह मिलने होटल पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच हुई सकारात्मक विचार विमर्श हुआ। रूस के उप प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि दोनों देशों के बीच चल रहे अनुबंधों को कायम रखा जाएगा। और इससे भी आगे बढ़कर कई मामलों साझा सहयोग किया जाएगा। भारत के सभी प्रस्तावों पर रूस की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। राजनाथ ने कहा कि वह चर्चा को लेकर पूरी तरह संतुष्ट है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने के तौर तरीकों पर चर्चा की गई।

राजनाथ सिंह की रूस के उच्च सैन्य अधिकारियों के साथ उपयोगी बैठक हुई। इस दौरान रूस के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा समूचे रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा चर्चा की गई। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस यात्रा में भारत रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर मिला। यह उचित है कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की, क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं। इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवारोव ने कहा है कि भारत और चीन को किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं और दोनों देश अपने विवाद को खुद ही सुलझा लेंगे। उन्‍होंने आशा जताई कि स्थिति शांतिपूर्ण रहेगी और दोनों ही देश विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।

राजनाथ ने द्वितीय विश्व युद्ध में रूस के लोगों के सर्वोच्च बलिदान देने के लिए श्रद्धांजलि दी और कहा कि भारतीय सैनिक भी सोवियत आर्मी को सहायता पहुंचाने में शहीद हुए थे। सिंह ने कहा कि मॉस्को में कोरोना महामारी के बाद किसी भी भारतीय डेलिगेशन का यह पहला दौरा है और यह भारत और रूस की खास दोस्ती का प्रमाण है। सिंह ने कहा, महामारी की कठिनाइयों के बाद भी हमारे द्विपक्षीय संबंध बने हुए हैं। जो समझौते किए जा चुके हैं उन्हें जारी रखा जाएगा। उनको और तेजी से कम समय में पूरा किया जाएगा। राजनाथ सिंह की रूस यात्रा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण साबित हुई है। भारत रूस से रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए है। भारत ने रूस से सुखोई थर्टी, युद्ध पोत और टैंकरोधी मिसाइल का सौदा किया है साथ ही इसकी आपूर्ति विमान से करने को कहा है। जल्दी ही रूस से भारत को सैन्य आपूर्ति की जायगी। इसमें सुखोई लड़ाकू विमान के अलावा टी नाइटी टैंक और युद्धपोत, पनडुब्बी रक्षा उपकरण शामिल है। इस यात्रा ने भारत और रूस के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनाया है। इस सुखोई, टैंक और युद्धक कलपुर्जों की आपूर्ति समुद्र मार्ग के स्थान पर वायु मार्ग से होगी। इस प्रकार राजनाथ सिंह की रूस यात्रा बहुत सामयिक व सफल रही।

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