मथुरा। विजयादशमी पर जहां शहर और कस्बो में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक में रावण के पुतले का दहन किया जाता है, तो वहीं उत्तर प्रदेश के मथुरा में रावण की पूजा करने वाले भी हैं।
वर्षों पुरानी इस परंपरा के अनुसार लंकेश भक्त मंडल ने मंगलवार को यमुना किनारे स्थित शिव मंदिर पर भगवान शिव की आराधना की। इसके बाद रावण की महाआरती की। साथ ही पुतला दहन का विरोध किया।
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रावण की यमुनापार स्थित शिव मंदिर पर महाआरती की गई। रावण के स्वरूप के द्वारा भगवान भोलेनाथ की उपासना की गई। शिव भक्तों द्वारा रावण के पुतला दहन का विरोध किया गया। सारस्वत ब्राह्मणों के अलावा अन्य शिव भक्तों ने भी रावण की महाआरती की। रावण के स्वरूप के द्वारा सनातन विधि से शिव लिंग पर जलाभिषेक किया।
लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत एडवोकेट ने इस मौके पर कहा कि रावण प्रकांड विद्वान महापंडित थे। भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने हेतु रावण से भगवान भोलेनाथ की पूजा कराई थी।
रावण सीताजी को अशोक वाटिका से अपने साथ लेकर आए थे। भगवान श्रीराम ने जब उन्हें अपना आचार्य बनाया था, तो अब हमारे समाज के कुछ लोग उनका पुतला दहन करके क्यों अपमान कर रहे है।
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ओमवीर ने कहा कि हिंदू संस्कृति में एक व्यक्ति का एक बार ही अन्तिम संस्कार किया जाता हैं। महाज्ञानी रावण का पुतला दहन बंद होना चाहिए। जिस तरह सती प्रथा बंद हुई है, उसी तरह रावण का पुतला दहन भी बंद होना चाहिए। रावण का पुतला दहन एक तरह से ब्राह्मणों के साथ-साथ विद्वता का भी अपमान है।
इस मौके पर संजय सारस्वत, देवेंद्र वर्मा, हरिश्चंद सारस्वत, ब्रजेश सारस्वत, सुनील सारस्वत, एस के सारस्वत, यमुना प्रसाद यादव, चंद्रमोहन सारस्वत देवेंद्र सारस्वत किशन सारस्वत, अनिल सारस्वत, अजय सारस्वत कृष्ण गोपाल सारस्वत मुकेश सारस्वत आदि दर्जनों लोग उपस्थित रहे।