अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि देश में आर्थिक नरमी के लिए केवल वैश्विक कारक पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक आर्थिक नरमी, मुद्रास्फीति में वृद्धि, बैंकों और एनबीएफसी की वित्तीय हालत को दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि रिजर्व बैंक आर्थिक नरमी, मुद्रास्फीति में वृद्धि, बैंकों और एनबीएफसी की वित्तीय हालत को ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा। वहीं उन्होंने वैश्विक आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सभी विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाओं द्वारा समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उम्मीद है कि व्यापार को लेकर अमेरिका-चीन के बीच समझ बनी रहेगी तथा आगे और मजबूती होगी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि में नरमी को महसूस किया था और फरवरी से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करके समय से पहले कदम उठाए। दास ने कहा कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस करना चाहिए और ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनना चाहिेए। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है।
शक्तिकांत दास ने बताया कि विवेकपूर्ण वृहद आर्थिक मानदंडों पर समझौता किए बिना, हमने वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती, धन उपलब्धता की स्थिति सुधारने जैसे कदम उठाए। रिजर्व बैंक द्वारा किए गए 1,539 कंपनियों के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए दास ने कहा कि निवेश चक्र में सुधार के संकेत दिखने शुरू हो गए हैं। उन्होंने ब्याज दर में कटौती पर रोक लगाने पर कहा, “मुझे नहीं पता कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती पर फिलहाल रोक लगाने से बाजार क्यों हैरान हैं, इस फैसले पर समय के साथ सही साबित होने की उम्मीद है”।
बता दें आरबीआई ने इस बार रेपो रेट में कटौती नहीं की। यह 5.15% पर बरकरार है। इसको लेकर दास ने कहा था कि मौद्रिक नीति (एमपीसी) की अगली बैठक यानी फरवरी में बेहतर ढंग से निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि उस समय तक और आंकड़े सामने होंगे और सरकार भी 2020-21 का बजट पेश कर चुकी होगी।