किसानों के बीच अपने खिलाफ बनी धारणा को दूर करने के लिए रिलायंस समूह ने जमीनी प्रचार अभियान शुरू किया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियी रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) ने किसानों से सीधे जुड़ने के लिए के लिए प्रचार अभियान शुरू किया है.
इसके तहत नए कृषि कानूनों से लाभान्वित होने वाली कंपनी के तौर पर बन रही धारणा को तोड़ने के लिए कंपनी के कर्मचारी हरियाणा और पंजाब में पोस्टर और पैंफलेट से प्रचार कर रहे हैं.
नए कृषि कानूनों से लाभान्वित होने वाली कंपनी के तौर पर प्रचारित होने के चलते पंजाब और हरियाणा में कंपनी को काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि उसने दोनों राज्य में अपने एसेट को नुकसान पहुंचाने वालों पर कड़ी कार्रवाई के लिए कानूनी हस्तक्षेप की मांग की है, जिस पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई है.
गलतफहमी दूर करने की कोशिश
कंपनी के पोस्टर और पैंफलेट से प्रचार का लक्ष्य किसानों की गलतफहमी दूर करना है. कंपनी का कहना है कि कुछ लोग निजी स्वार्थ के चलते ऐसा कर रहे हैं. यही बात उसने अपनी याचिका में भी कही है.
कंपनी लोगों को पैंफलेट बांटकर बता रही है, कि वह न तो कभी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध पर खेती) के क्षेत्र में रही है और न ही उसकी भविष्य में ऐसी कोई योजना है. इतना ही नहीं, उसने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए देश में या पंजाब और हरियाणा में कोई जमीन भी नहीं खरीदी है.
तीन भाषाओं में पैंफलेट
कंपनी के ये पैंफलेट तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी में हैं. इसी तरह की जानकारी से लैस पोस्टर कंपनी के फ्रेंचाइजी स्टॉल के आसपास भी देखे जा सकते हैं. दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच भी कंपनी के कर्मचारियों को ऐसे पैंफलेट बांटते देखा गया.
क्या बताया है कंपनी ने
इस प्रचार अभियान में किसानों को समझाने की कोशिश की गयी है कि वह सीधे किसानों से खाद्यान्न नहीं खरीदती है. बल्कि हमेशा अपने सप्लायर्स के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को सुनिश्चित करती है.
रोचक बात यह है कि कंपनी के पोस्टर और पैंफलेट में कहा गया है, भारतीय किसानों के प्रति रिलायंस इंडस्ट्रीज काफी सम्मान रखती है, वह 130 करोड़ भारतीयों के परिवार का हिस्सा हैं. कंपनी किसानों की आकांक्षाओं का सम्मान और समर्थन करती है. उन्हें उनकी मेहनत के लिए अनुमानित आधार पर लाभकारी और उचित मूल्य मिलना चाहिए.