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रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने फार्च्यूयन इंडिया 500 सूची में प्राप्त किया शीर्ष स्थान

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) अब फार्च्यूयन इंडिया 500 सूची में शीर्ष पर पहुंच गई है। आरआईएल को आम उपभोक्ताओं पर केन्द्रित कारोबार से इस स्थान पर पहुंचने में मदद मिली है। फार्च्यूयन इंडिया ने यह जानकारी देते हुये कहा कि 2018- 19 में 5.81 लाख करोड़ रुपये का कारोबार करने के साथ ही मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली आरआईएल पहली कंपनी है जिसने कुल कारोबार के मामले में आईओसी को पीछे छोड़ा है।

आईओसी पिछले लगातार दस साल से इस मुकाम पर बनी हुई थी। आरआईएल संगठित खुदरा बिक्री, दूरसंचार और पेट्रोलियम कारोबार के क्षेत्र में कार्यरत है। सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) 2018 में इस मामले में तीसरे स्थान पर रही।

इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक, टाटा मोटर्स और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) का स्थान रहा। वर्ष 2018 और 2019 में इनकी रैकिंग में कोई बदलाव नहीं आया। फार्च्यूयन इंडिया- 500 की इस सूची में कंपनियों की अनुषंगी को शामिल नहीं किया गया है।

इस प्रकार ओएनजीसी की रैकिंग तय करते समय इसमें उसकी अनुषंगियों हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के कारोबार को शामिल नहीं किया गया है। राजेश एक्सपोट्र्स 2019 में सातवें स्थान पर रही। वह एक पायदान ऊपर चढ़ी है।

इसी प्रकार टाटा स्टील, कोल इंडिया, टाटा कंसल्टेंसी सविर्सिज और लार्सन एण्ड टुब्रो भी एक स्थान ऊपर चढ़कर क्रमश 8वें, 9वें, 10वें और 11वें स्थान पर पहुंच गये। आईसीआईसीआई बैंक दो पायदान चढ़कर 12वें स्थान पर पहुंच गया जबकि हिन्डाल्को इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक का स्थान इसके बाद रहा।

वेदांता लिमिटेड 2019 की सूची में तीन स्थान नीचे आ गया और 18वें स्थान पर रहा। फार्च्यूयन ने कहा कि आरआईएल का कारोबार 2018- 19 में 41.5 प्रतिाश्त बढ़ गया। यह आईओसी से 8.4 प्रतिशत अधिक रहा।

कुल मिलाकर फार्च्यूयन इंडिया- 500 कंपनियों का राजस्व 2019 में 9.53 प्रतिशत बढ़ गया जबकि मुनाफा 11.8 प्रतिशत बढ़ा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच विलय, सार्वजनिक उपक्रमों में विलय सहित अन्य कारणों से 57 कंपनियां इस सूची से बाहर हो गई। इस दौरान फार्च्यूयन 500 कंपनियों का कुल घाटा कम हुआ है। 65 कंपनियों का कुल घाटा 1.67 लाख करोड़ रुपये रहा जो कि इससे पिछले वर्ष में दो लाख करोड़ रुपये था। भाषा महाबीर मनोहर मनोहर

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