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आरएमएल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी: सेवा मामलों में प्रशासनिक विषम व्यवहार के खिलाफ शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन जारी

लखनऊ। आज दूसरे दिन भी आरएमएल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (RML National Law University) के शिक्षकों ने शासनादेश 2013 के माध्यम से सृजित पदों के नियमितीकरण पर संबंधित एवं प्रभावी शिक्षकों के मुद्दों के प्रति यूनीवर्सिटी के ठंडे और लचीले व्यवहार के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

आरएमएल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

शिक्षकों ने परिसर के लोहिया चौक पर नारेबाज़ी करते हुए कहा, “प्रशासन की मनमानी नहीं चलेगी”,”शिक्षक एकता जिंदाबाद,” “स्थाईकरण कराना होगा।” शिक्षकों को कार्यपरिषद की बैठक के संबंध में कोई औपचारिक जानकारी नहीं है, जहां उनके लिफाफे को प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और चयन ग्रेड की नियत पदोन्नति की सभी श्रेणियों में खोला जाना है। दूसरा शनिवार होने के कारण प्रशासन नींद में है।

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वहीं लीगल स्ट्डीज एवं ह्यूमैनिटीज एंड अदर स्ट्डीज विभाग के अध्यक्ष डॉ आदित्य प्रताप सिंह द्वारा आयोजित एक आपातकालीन बैठक में सभी शिक्षक एक साथ आए। डॉ आदित्य प्रताप सिंह ने बताया, “शिक्षक 10 अप्रैल, 2023 से शुरू होने वाले इंटर्नल सहित सभी परीक्षा कार्यों का बहिष्कार करेंगे, जब तक कुलपति आधिकारिक रूप से कार्य परिषद् की बैठक के बारे में हमें सूचित नहीं करते हैं और उसके बाद शिक्षकों को उनकी पदोन्नत स्थिति में शामिल नहीं करते हैं, तब तक हम अपना धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

आरएमएल नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

साथ ही शासनादेश 2013 के माध्यम से पदों के नियमितिकरण (स्थाईकरण) के मामले की सूचना एक लिखित पत्र के माध्यम से दी जाए जिसमें उस अधिकारी का नाम लिखा होगा, जिसे यूपी सरकार सचिवालय के साथ आधिकारिक पत्राचार व्यवहार की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाएगा और शिक्षकों को इसके बारे में अपडेट करते रहेंगे”।

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विश्वविद्यालय के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ मनीष बाजपेयी ने अपनी नियत चयन समिति की पीड़ित स्थिति की बात की। विश्वविद्यालय के डिप्टी लाइब्रेरियन श्री बाजपेयी कहते हैं, “मेरी स्क्रीनिंग हो गई है, लेकिन मेरी पदोन्नति के लिए मेरी चयन समिति को लंबे समय तक रोक दिया गया है।” “शिक्षकों ने आगामी दिनों में सेवा मामलों और परीक्षा पर उनके प्रतिनिधित्व के आगे के तौर-तरीकों पर एक बैठक की, जो कि प्रमुख और NALUTA अध्यक्ष डॉ एपी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई।”

विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ अलका सिंह कहती हैं, जिस तरह का रवैया  विश्वविद्यालय प्रशासन  ने अपना रखा है, उसे देखते हुए आने वाले सप्ताह में भी उन्हे कुछ ठोस परिणाम होने की उम्मीद दिखाई दे रही है।

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