नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को हिंदू समाज को एकजुट करने के महत्व पर जोर दिया क्योंकि यह देश का ‘‘जिम्मेदार’’ समाज है जो मानता है कि एकता में ही विविधता समाहित है।
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बर्धमान के साई ग्राउंड में आरएसएस के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “लोग अक्सर पूछते हैं कि हम केवल हिंदू समाज पर ही ध्यान क्यों देते हैं, और मेरा जवाब है कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है।”
भागवत ने कहा, “आज कोई विशेष घटना नहीं है। जो लोग संघ के बारे में नहीं जानते, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि संघ क्या चाहता है। अगर मुझे जवाब देना होता, तो मैं कहता कि संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि यह देश का जिम्मेदार समाज है।”
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भागवत बोले- विश्व की विविधता को स्वीकार करना जरूरी
उन्होंने विश्व की विविधता को स्वीकार करने के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “भारत सिर्फ भूगोल नहीं है; भारत की एक प्रकृति है। कुछ लोग इन मूल्यों के अनुसार नहीं रह सके और उन्होंने एक अलग देश बना लिया। लेकिन जो लोग स्वाभाविक रूप से यहीं रह गए, उन्होंने भारत के इस सार को अपना लिया। और यह सार क्या है? यह हिंदू समाज है, जो दुनिया की विविधता को स्वीकार करके फलता-फूलता है। हम कहते हैं ‘विविधता में एकता’, लेकिन हिंदू समाज समझता है कि विविधता ही एकता है।”
भागवत ने कहा कि भारत में कोई भी सम्राटों और महाराजाओं को याद नहीं करता, बल्कि एक ऐसे राजा को याद करता है जो अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए 14 साल के वनवास पर चला गया – यह स्पष्ट रूप से भगवान राम का संदर्भ था, और वह व्यक्ति जिसने अपने भाई की पादुकाएं सिंहासन पर रखीं, और जिसने वापस आने पर राज्य सौंप दिया।