कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से बात कर कुंभ में जमावड़े को खत्म कर उसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर सीमित रखने की अपील की है. निरंजनी और आनंद अखाड़ा ने पहले ही अपनी ओर से कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है, लेकिन, कुछ अखाड़े समय से पहले मेला समाप्ति की बात से नाराज हैं. उनका कहना है कि मेला तय समय तक ही चलेगा.
इन साधु-संतों को मनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले दो दिनों से गुप्त बैठकें कर रही है. प्रधानमंत्री की अपील को भी इसी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन, फिलहाल अभी सभी अखाड़ों में सहमति बनती नहीं दिख रही है. सबसे ताकतवर माने जाने वाले जूना अखाड़े ने साफ कर दिया है कि वह समय से पहले कुंभ खत्म नहीं करेगा और 27 अप्रैल के शाही स्नान में अखाड़े के सभी साधु हिस्सा लेंगे.
कोरोना विस्फोट से परेशान केंद्र सरकार मेला जल्द से जल्द खत्म कराना चाहती है, लेकिन वह यह नहीं चाहती कि इसके लिए कोई सरकारी निर्देश जारी किया जाए. बल्कि, केंद्र की मंशा है कि साधु-संत खुद मेला खत्म होने की घोषणा करें. इस बात के प्रबंधन का जिम्मा तीरथ सरकार को दिया गया है जो उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है. अब सभी अखाड़ों के साथ गोपनीय सरकारी बातचीत चल रही है, लेकिन कई अखाड़े इस बात से नाराज हैं कि शुरुआत में सरकार ने उन्हें विश्वास में नहीं लिया.
उत्तराखंड की तीरथ सरकार सीधे मेला खत्म करने की घोषणा कर साधु-संतों से विवाद मोल नहीं लेना चाहती है. इसलिए बैठकों का सहारा लिया जा रहा है. इन बैठकों का कुछ असर भी दिखा. दो दिन पहले निरंजनी और आनंद अखाड़े ने अपनी ओर से मेला समाप्ति की घोषणा कर दी थी.
अखाड़ों में मतभेद
लेकिन, कुंभ को समय से पहले खत्म करने की कोशिशों से कई अखाड़े नाराज हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और श्री जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि कहते हैं कि निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समाप्ति के ऐलान के पीछे सरकार का हाथ हैं. वे कहते हैं कि कोई एक अखाड़ा कुंभ खत्म करने की घोषणा नहीं कर सकता. महंत हरि गिरि ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा, कुंभ खत्म होगा या आगे बढ़ेगा, इसका निर्णय सभी अखाड़ों से बातचीत के बाद ही हो सकता है.