जैन समाज का दशलक्षण पर्व का पांचवा दिन ‘उत्तम सत्य धर्म’
लखनऊ। जैन पर्व के पांचवे दिन मंगलवार को दशलक्षण धर्म में उत्तम सत्य धर्म का पूजन हुआ। प्रातः भगवन्तों का हवन एवं शान्तिधारा करके जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य , दीप, धूप और फल के साथ अष्टद्रव्य से तीर्थंकरों का पूजन किया गया।
आशियाना जैन मन्दिर में शान्तिधारा का पुण्यार्जन उर्मिला जैन परिवार को मिला। सामूहिक पूजन एवं आरती में अध्यक्ष बृजेश जैन, शरद चन्द्र, डॉ. अभय जैन, अंकित जैन, चन्द्रप्रकाश, विकास जैन, अल्पना, कुसुम, सुधा, उर्मिला, सरिता, ऋतु , जयश्री, गीता , किरण आदि ने सहभागिता की।
स्वाध्याय सभा में उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अभय कुमार जैन ने बताया कि सत्यधर्म मन-वचन-काय की एकरूपता ही सत्य है। बिना सत्य के साधू को मुक्ति और श्रावक का सत्यार्थ जीवन नहीं मिलता। जैन शास्त्रों के अनुसार सत्य-दर्शन (सम्यग्दर्शन) से मोक्ष मार्ग खुलता है। सत्य का पालन न करने के कारण सदाचार कम हो रहा है और व्यभिचार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि बुधवार को उत्तम संयम धर्म की पूजा होगी।