नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि बिना केंद्र का पक्ष सुने कोई भी आदेश नहीं दे सकते।
बुधवार को नागरिकता कानून को लेकर दायर 140 याचिकाओं की सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम बिना सभी को सुने कोई आदेश पारित नहीं करेंगे। सुनवाई शुरू होते ही नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दलीलें पेश करते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट से गुजारिश की कि जब तक नागरिकता कानून पर कोर्ट कोई अंतिम निर्णय निर्देश नहीं देता, NPR प्रकिया को तीन महीने के लिए टाल दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरन कहा कि याचिकाओं की कॉपी केंद्र को सौंपी जांए और उन्हें जवाब देने दें।
सुनवाई शुरू होने से पहले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुनवाई के लिए CJI की अदालत में भीड़ के बारे में शिकायत की। उन्होंने कहा, कोर्ट का माहौल शांतिपूर्ण और शांत होना है, खासकर सुप्रीम कोर्ट में’। अटॉर्नी जनरल ने कहा – 140 याचिकाएं दायर हई हैं। उनमें से जो 60 के करीब याचिकाएं हमे मिली हैं, उन पर हम शुरुआती जवाब दाखिल कर रहे हैं, बाकी याचिकाएं हमे अभी नहीं मिली है।
सिब्बल और सिंघवी का कहना है कि प्रकिया पर फिलहाल रोक लगा देनी चाहिए, क्योंकि इसके तहत नागरिकता मिलने के बाद वापस नागरिकता लेना मुश्किल हो जाएगा। AG ने कहा- विशेष परिस्थितियों में नागरिकता दिये जाने के बाद वापस भी ली जा सकती है। इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने संकेत दिए कि मामला आगे विचार के लिए संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है।
सीनियर वकील विकास सिंह ने कहा कि अंतरिम रोक लगनी ज़रूरी है, अन्यथा असम की डेमोग्राफी ही बदल जाएगी. आधे से ज़्यादा वहां शरणार्थी बंगाली हिंदू हैं।
CJI ने साफ किया कि बिना केंद्र सरकार को सुने हम अभी कोई आदेश पास नहीं करने जा रहे। यानी स्टे का आदेश नहीं दे रहे। उन्होंने कहा – सभी याचिकाओं की कॉपी केंद्र सरकार को मिलनी चाहिए।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, केंद्र ने प्रारंभिक हलफनामा तैयार किया है, जो आज दायर किया जाएगा। एएम सिंघवी ने कहा, यूपी ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह अपरिवर्तनीय है क्योंकि एक बार नागरिकता प्रदान करने के बाद इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।