आरबीआई ने जोखिम को देखते हुए खुदरा कर्जों की जांच और बढ़ा दी है। साथ ही, टॉप-अप होम लोन को भी जांच के दायरे में ले लिया है। मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खुदरा कर्ज में आई बेतहाशा तेजी से वित्तीय प्रणाली में जोखिम बढ़ सकता है। इसे रोकने के लिए जांच को और फैला दिया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों और एनबीएफसी की ओर से इस तरह के कर्ज पर निगरानी बढ़ा दी है। पर्सनल लोन देने वाले संस्थानों को ऐसे कर्जों पर लगाम लगाने को कहा गया है जहां जोखिम ज्यादा बढ़ रहा है। आरबीआई ने बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय फर्मों की ओर से कुछ खुदरा ऋणों पर लगाम लगाने के लिए छह महीनों में कई कदम उठाए हैं। इसमें उनको चेतावनी भी दी है।
सूत्रों के अनुसार, आरबीआई का रुख अब बदल गया है। उसने सितंबर में कहा था कि ज्यादा उधारी से वित्तीय प्रणाणी का कोई जोखिम नहीं है। लेकिन अब नई जांच वित्तीय फर्मों के लिए एक बड़ा झटका है। एक सूत्र ने कहा, आरबीआई पर्यवेक्षण पर अब चार चरणों की जांच कर रहा है। इसमें निगरानी करना, चेतावनी देना, दंडित करना और फिर कार्रवाई करना। आरबीआई विशेष चेतावनियों के आधार पर संस्थाओं को सही दिशा में कदम उठाने का मौका देना चाहता है। लेकिन जरूरत पड़ने पर कार्रवाई भी कर सकता है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बावजूद कर्ज में तेजी
पिछले दो वर्षों में आरबीआई के रेपो दर में 2.5 प्रतिशत बढ़ोतरी के बावजूद बैंकों का कर्ज सालाना आधार पर 16% बढ़ रहा है। जबकि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की अनुमानित 7.6% की वृद्धि से दोगुना से भी अधिक है। जनवरी के अंत में असुरक्षित पर्सनल लोन एक साल पहले की तुलना में 21% बढ़ गए थे।
बैंक गलत तरीके से कर रहे विज्ञापन
आरबीआई अब मॉर्गेज टॉप-अप पर बारीकी से नजर रख रहा है। मॉर्गेज लोन मूलरूप से घर में मरम्मत या अतिरिक्त सुविधाओं के लिए होते हैं। लेकिन बैंक उन्हें शादियों, छुट्टियों और व्यापार में निवेश के लिए इसका विज्ञापन कर रहे हैं।