लखनऊ। उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार की स्थिति चिंताजनक Serious है उत्पीड़न, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में बाढ़ सी आ गयी है। प्रदेश सरकार महिलाओं के प्रति हिंसा और बलात्कार की घटनाओं को रोक पाने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज ही नहीं बची है।
कानून व्यवस्था की स्थिति Serious
आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश के संयुक्त सचिव विपिन राठौर ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति Serious चिंताजनक है। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। आये दिन हत्या, उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाएं समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं किन्तु सरकार कानून व्यवस्था को सुधारने और अपराधियों पर कठोर कार्यवाही करने के बजाय अपराधियों को संरक्षण देने और में मेरी और मेरे अपने’ की नीति पर चल रही है।
उन्होंने कहा कि मुरादाबाद मंडल में एक दिन में 6 महिलाओं की हत्या होती है, सीतापुर और मऊ में दुष्कर्म की शिकायत पर बेटियों को जला दिया जाता है, लखनऊ में छेड़छाड़ का विरोध करने पर दो सगी बहनों को सरेआम पीटा जा रहा, प्रतापगढ़ में स्कूल के निकली छात्रा को अगवा कर गैंगरेप किया जाता है, पिलखुआ में 4 साल की बच्ची भी दरिदों का शिकार बन जाती है, ऐसे बहुत से मामले है जो मन को झकझोर देते है।
उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर लगातार जुर्म जारी है पर इसको रोकने की जगह भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री सहित आला मंत्री दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार में व्यस्त है, अब तो अतिथि देवो भव वाले देश में मथुरा में महिला अतिथि के साथ भी रेप हो रहा है। ऐसा तो नहीं था रामराज।
नाम भी बदनाम कर रही भाजपाःसभाजीत
आप के यूपी प्रवक्ता सभाजीत सिंह ने कहा कि “भाजपा भगवान राम का नाम भी बदनाम कर रही, भगवान राम के नाम से जनता को धोखा दे रही और उनका नाम सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए कर रही। कहती है न्च् में रामराज आ गया, क्या रामराज में रेप होता था ? बेगुनाहों की हत्या होती थी ? पुलिस की गाड़ी से खींचकर युवा मारा जाता था ?“
कब तक सहेंगी महिलाएं इस समाज में जुर्म? क्या देश में महिलाओं का कोई स्थान नहीं? क्यों आज की यह मॉडर्न पीढ़ी अपनी सोच नहीं बदलती? महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं देश में महफूज नहीं हैं।
महिला अपराधों पर सरकारों का मौन होना
सरकार जहां अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रही है वहीं दूसरी तरफ दुःख इस बात का ज्यादा है कि समाज भी सो रहा। प्रतिदिन एक से बढ़कर एक दरिन्दगी भरी घटनाओं को पढ़कर, सुनकर और देखकर एक सामान्य सी प्रतिक्रिया के बाद सामान्य क्रिया-कलापों में व्यस्त हो जाना, देश व समाज की निष्क्रियता एवं संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को दर्शाता है, जोकि भावी समाज के लिए सबसे घातक सिद्ध होने वाला है।