रायबरेली। आर्ट ऑफ ओम के संस्थापक व शंकराचार्य प्रयागपीठ के प्रवक्ता Shandilya Muni शाण्डिल्य मुनि ने बताया कि पुराणों के अनुसार हर तीसरे साल सर्वोत्तम यानी पुरुषोत्तम मास अथवा मलमास की उत्पत्ति होती है। इस मास में लोग श्री मद भागवत कथा सुनते है जो मनुष्य का कल्याण करके मोक्ष व अमोघ फल की प्राप्ति देता है।
Shandilya Muni : इस मास शिवपूजन से अमोघ फल की प्राप्ति….
शाण्डिल्य मुनि Shandilya Muni ने बताया की इस मास के दौरान जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। इसमें श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीराम कथा वाचन और विष्णु भगवान की उपासना की जाती है।इस मास में भगवान श्रीहरि विष्णु को तुलसीदल अर्पित करना चाहिये । इस मास में शिवपूजन से अमोघ फल की प्राप्ति होती है व रुद्र के आठवें अध्याय की यदि 18 आवृति हो जाए तो अच्छा होता है अर्थात पूर्ण रुद्राभिषेक हो जाय तो कई जन्मों के पाप समाप्त हो जाते है।
वैसे तो मनुष्य को इस मास में हर दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना चाहिये। इस बार अधिकमास की शुरुआत 16 मई से लेकर आगामी 13 जून तक रहेगी। इस मास में धार्मिक पुस्तकों का दान जरूर करना चाहिए जैसे पुराण व उपनिषद एवं शमी व तुलसी के पवित्र पौधे पर गोधूलि बेला में दीपदान करना चाहिये। पूर्वजों के कल्याण हेतु सम्पूर्ण श्री मद भागवत कथा का श्रवण कर शिव व विष्णु की पूजा अवश्य करें।
प्रत्येक तीन वर्ष के बाद पुरुषोत्तम माह आता है। पंचांग के अनुसार सारे तिथि-वार, योग-करण, नक्षत्र के अलावा सभी मास के कोई न कोई देवता स्वामी है, किंतु पुरुषोत्तम मास का कोई स्वामी न होने के कारण सभी मंगल कार्य, शुभ और पितृ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
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