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चौंकाने वाली रिपोर्ट: हर 4 में से 3 कोरोना पॉजिटिव बच्‍चों में नहीं दिखते कोई लक्षण

देश में कोविड-19 के मामलों की संख्‍या 84 लाख के पार हो गई है. नए मामलों की रफ्तार कम हुई है लेकिन खतरा बिल्‍कुल नहीं टला है. इसी बीच, सितंबर और अक्‍टूबर के महीने में कई राज्‍यों ने स्‍कूलों के दरवाजे खोल दिए थे. नवंबर में भी कुछ राज्यों ने स्‍कूल खोले हैं. पिछले एक हफ्ते में कई जगहों से टीचर्स और स्‍टूडेंट्स के कोविड पॉजिटिव पाए जाने की खबरें आई हैं.

स्‍कूल खोलने में कितना रिस्‍क है, इसका अंदाजा ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की ताजा रिपोर्ट से लगता है. AIIMS के मुताबिक, सभी पॉजिटिव मरीजों में से 40% एसिम्‍प्‍टोमेटिक थे. 12 साल से कम उम्र के बच्‍चों में यह आंकड़ा 73.5% था. यानी बच्‍चों के कोरोना संक्रमित होने पर उनमें कोविड के लक्षण नहीं दिखते. ऐसे में यह पता लगा पाना मुश्किल है कि स्‍कूल आने वाला बच्‍चा कोरोना पॉजिटिव है या नहीं.

स्‍कूलों के जरिए तेजी से फैल सकता है संक्रमण

देश के कम से कम 10 राज्‍यों में स्‍कूल खुल चुके हैं. इनमें उत्‍तर प्रदेश, बिहार, उत्‍तराखंड, आंध्र प्रदेश जैसे भारी आबादी वाले राज्‍य भी शामिल हैं. अगर AIIMS के डेटा को देखें तो हर चार में से तीन कोरोना संक्रमित बच्‍चों में कोई लक्षण नहीं मिलते. ऐसे में अगर संक्रमित बच्‍चा स्‍कूल जाता है तो वह अपने सहपाठियों और स्‍कूल वालों को भी संक्रमित कर सकता है. इस तरह कोरोना संक्रमण का एक तरह से चैन रिएक्‍शन शुरू हो सकता है. इसी डर के चलते बच्‍चों को स्‍कूल भेजने से फिलहाल माता-पिता घबरा रहे हैं.

आंध्र प्रदेश में 2 नवंबर से 9वीं-10वीं के स्‍कूल खोले गए थे. तीन दिन बाद ही वहां करीब 262 छात्र और 160 शिक्षक कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं. हालांकि स्कूल शिक्षा आयुक्त वी चिन्ना वीरभद्रदू ने कहा कि ‘संकमित छात्रों की संख्या 262 है, जो चार लाख छात्रों का 0.1 प्रतिशत भी नहीं है. यह कहना सही नहीं है कि स्कूल जाने की वजह से छात्र संक्रमित हुए.’ वहीं, हरियाणा के फरीदाबाद में भी 14 टीचर्स की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

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