अंकुर बेधक, मथ मुड़िया कीट नियंत्रण के लिए ‘जायकोर’ का करें प्रयोग : ओम प्रकाश गुप्ता
कुशीनगर (मुन्ना राय)। गन्ने (sugarcane) की बुवाई से कटाई तक किसी न किसी तरह के कीटों का प्रकोप (Infestation of pests) होता रहता है। इस समय पौधा तथा पेंडी गन्ना फसल में अंकुर बेधक ‘पिहिका’ किट (Pihika kit) का प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट से प्रभावित गन्ना के पौधों के किनारे की दोनो पत्तियां हरी होतीं है तथा बीच का गोंफ-सींका सुख जाता है, जिसको खिंचने पर आसानी से बाहर निकल जाता है। गन्ना फसल का सबसे अधिक नुकसान (most damage during) गर्मी के दिनों में (summer days) होता है। जैसे जैसे तापक्रम बढ़ता है। पिहीका कीट का प्रकोप बढ़ता है।
उपरोक्त जानकारी उ प्र गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केन्द्र पिपराइच गोरखपुर के पूर्व सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता ने कसया तहसील क्षेत्र के नैका छपरा में आयोजित किसान चौपाल में दी। प्रगतिशील कृषक जगदीश सिंह जितेन्द्र दुबे, जन्टू कुशवाहा, मनीष पाठक, मनोज कुमार गुप्ता आदि किसानों को पूर्व सहायक निदेशक श्री गुप्ता ने बताया कि कीटनाशक टेकोरेल मात्रा 8 किग्रा प्रति एकड़ प्रयोग करें। गुड़ाई करें, सिंचाई करें, तुरन्त नियंत्रण होगा।
कृषि विशेषज्ञ विपिन कुमार तिवारी ने बताया कि गन्ना फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कीट है। अंकुर वेधक और मथमुड़िया चोटीवेधक हैं। इन दोनों कीटों के नियंत्रण के लिए ‘जयकोर’ (कैमिनोवा) कंपनी मात्रा 150 मिली को 400 लीटर पानी में घोलकर जड़ो के पास डेन्चीग व सिंचाई करें। मधमुड़िया कीट नियंत्रण के लिए अप्रैल, मई में जायकोर का प्रयोग करें। प्रयोग से 90 दिनो तक गन्ना फसल को सुरक्षा देता है।
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किसान मनीष, जितेन्द्र, पवन ने बताया कि हमने श्रीमिन गोल्ड मात्रा आधा लीटर /एकड़ को 200 लीटर पानी में घोल कर गन्ना फासल में छिड़काव किया है। विकास अच्छा है, हरा भी है। गन्ना में घास के नियंत्रण के लिए केमिनोवा कम्पनी का रच्छक 230मिली/एकड़ 200 ली पानी में घोल बनाकर खेत में नमी की अवस्था में क्षिडकाव करें बेहतर रिजल्ट मिलेगा।