देश और दुनिया से आने वाले सैलानियों के लिए गंगा में आकर्षण का प्रमुख केंद्र साइबेरियन पक्षियों का काशी पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। मगर, यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की वजह से अब तक इनकी संख्या कम है। प्राणी विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड बढ़ने के साथ ही प्रवासी पक्षियों की संख्या और बढ़ेगी।
साइबेरियन पक्षी गंगा किनारे अक्तूबर में ठिकाना बना लेते हैं, लेकिन इस बार देर से आए हैं। बीएचयू के विज्ञान संकाय की पूर्व प्रमुख प्रो चंदना हलधर ने बताया कि पृथ्वी के ध्रुवों और मध्य अक्षांशों के इलाकों के बीच मौसम और जलवायु में बहुत अधिक अंतर देखने को मिलता है। इस अंतर की वजह से ही उत्तरी ध्रुव के पास रहने वाले पक्षी सर्दी में अपना ठिकान बदल लेते हैं। निचले अक्षांश वाले इलाकों का रुख कर लेते है। जहां उन्हें उनके हिसाब से कम ठंड का सामना करना होता है। इसीलिए भारत के मैदानी नदी और झीलों के पास सर्दी के मौसम में बहुत सारे पक्षी आते हैं। यूक्रेन युद्ध के चलते प्रवासी पक्षियों का भी ठिकाना बदला है। यूक्रेन और रूस के बीच साइबेरिया में ही यही पक्षी पाए जाते हैं। मौसम में बदलाव के साथ ही प्रजनन के लिए ठंडी जगहों की तलाश में निकलते हैं। ठंड बढ़ने के साथ ही इनकी संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है। हलधर बताती हैं कि वाराणसी में ग्रेटर फ्लेमिंगो बड़ी संख्या में झुंड के रूप में आते हैं। आमतौर पर अक्तूबर में ही आते हैं, लेकिन इस साल नवंबर में आ रहे हैं। आने वाले 10 दिनों में इनकी संख्या बढ़ जाएगी।
बनारस में करते हैं चातुर्मास
वाराणसी में चार महीने तक रहने के दौरान मेहमान परिंदे गंगा की लहरों और घाटों पर आकर्षण का केंद्र रहते हैं। पर्यटक दाना भी डालते हैं। पक्षी प्रजनन कर गंगा पार रेत पर अपने अंडे को सुरक्षित रखते हैं। मार्च में अपने बच्चों के साथ स्वदेश वापस जाते हैं।
तय रास्ते से सफर करते हैं प्रवासी पक्षी, ब्रेड-नमकीन न खिलाएं
चंदना हलधर बताती हैं कि सात समुंदर पार से परिंदे जिस रास्ते से आते हैं, उसी को जाने के लिए चुनते हैं। ठहरने का स्थान पहले ही तय होता है, जहां वो हर साल रुकते हैं। गंगा स्वच्छ हुई हैं। लिहाजा, प्रवासी पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सैलानी कई बार पक्षियों को ब्रेड या नमकीन खिलाते हैं, जो उनके लिए हानिकारक होते हैं।
इन बातों का रखना होगा ख्याल
दरअसल, प्रवाासी पक्षियों का मुख्य भोजन मछली होती है। मगर, मैदानी इलाकों में वे मनुष्य के नजदीक आती है तो उन्हें ब्रेड या नमकीन दिया जाता है। उसका सेवन करने से उन्हें डायरिया होता है और उससे वे ज्यादा दिन जीवित नहीं रह पाते हैं। पक्षियों पर शोध करने वाली हलधर ने बताया कि उनके साथ अठखेलिया करनी चाहिए, मगर उन्हें कुछ खिलाने से बचना चाहिए।