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कैब के विरुद्ध विद्यार्थियों के प्रदर्शनों को देखते हुए इस फिल्म का रीमेक बनाएँगे सुधीर मिश्रा

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश में चल रहे विद्यार्थियों के प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए हिंदी फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा अपनी पहली निर्देशित फिल्म ‘ये वो मंजिल तो नहीं’ का रीमेक बनाने जा रहे हैं. नए वर्ष के मौके पर फिल्म निर्माता ने ट्विटर पर लिखा है कि ‘आज के छात्रों’ ने उन्हें 1987 की फिल्म का रीमेक बनाने के लिए प्रेरित किया.

मिश्रा ने ट्वीट किया, ‘मैं अपनी पहली फिल्म का रीमेक बनाने जा रहा हूं. आज के विद्यार्थियों ने मुझे इसके लिए प्रेरित किया है. हालांकि, यह बिल्कुल वैसा ही नहीं होगा. आज के समय की स्थिति को देखते हुए हम इसमें कुछ परिवर्तन करेंगे.’ इस ट्वीट पर फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने सुधीर मिश्रा की योजना पर सहमति जताते हुए ‘हां’ लिखकर रिएक्शन दी. इसका जवाब देते हुए सुधीर मिश्रा ने लिखा, ‘अब इसी फिल्म की नयी संरचना का पता लगाना बहुत ही दिलचस्प होने वाला है. वैसे मैं इसकी पटकथा पर कार्य प्रारम्भ करने जा रहा हूं. बहुत ही जल्द मैं इसे आपके सामने पेश करूंगा. व आपको नव साल की हार्दिक शुभकामनाएं.’

1987 की इस फिल्म की कहानी तीन स्कूली दोस्तों के ज़िंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है. वह अब बूढ़े हो चुके हैं व कॉलेज की सक्रियता व असफलता के अपने दिनों को याद करते हैं. वह एक साथ फिर से मिलने के लिए बोर्डिंग स्कूल में वापस जाते हैं. आते समय वह हाल ही में हुई सियासी झड़पों का सामना कर रहे हैं, जो उन्हें एहसास दिलाती हैं कि यही वो घटनाएं हैं जिन्होंने उनके विवेक का परीक्षण किया था.

इस फिल्म ने सुधीर को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू निर्देशक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलवाया था. फिल्म में पंकज कपूर, मनोहर सिंह, हबीब तनवीर, सुष्मिता मुखर्जी व नसीरुद्दीन शाह ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं.

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