इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म सिमरन अदाकारी के लिहाज से कंगना राणावत की एक और बेहतरीन फिल्म है लेकिन पटकथा के लिहाज से फिल्म में इतने झोल हैं कि यह फिल्म कहीं से भी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरती। कंगना के कारण बॉक्स आफिस पर पहले सप्ताह के कलेक्शन कुछ ठीक कहे जा रहे हैं लेकिन इनका दूसरे सप्ताह तक भी टिके रहना मुश्किल होगा। निर्देशक हंसल मेहता शायद यह तय ही नहीं कर पाये कि उन्हें कॉमेडी फिल्म बनानी है या कंगना के रूप में आज के दौर की साहसी महिला की कहानी कहनी है।
फिल्म की कहानी पूरी तर प्रफुल पटेल (कंगना) पर केंद्रित है। वह अमेरिका के जार्जिया में अपने परिवार के साथ रहती है। उसका तलाक हो चुका है और मध्यमवर्गीय परिवार को चलाने के लिए उसे पैसों की भी जरूरत है। वह पेशे से हाउसकीपर है लेकिन उसका सामना एक बार लॉस वेगास के एक कसीनो में गैम्बलिग से होता है। यहां उसका एक गलत कदम उसे अपराध की दुनिया में इतना आगे लेकर चला जाता है जहां से वापस आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। वह बेधड़क होकर बैंक लूटती चली जाती है और पुलिस और बैंक कर्मचारी देखते रह जाते हैं। बैंक लूटते समय वह कई सबूत भी छोड़ती है लेकिन अमेरिका की पुलिस और जांच एजेंसियों को इतना बेवकूफ दिखाया गया है कि उनका ध्यान इस ओर जाता ही नहीं। इसके अलावा उसका जीने का बिंदास अंदाज भी फिल्म में दिखाया गया है।