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किसानों की नाराजगी से घिरे अजय मिश्र टेनी लगा पाएंगे हैट्रिक या होगा उलटफेर, खीरी पर सबकी नजर

लखीमपुर खीरी:  खीरी लोकसभा सीट पर इस बार बसपा के प्रत्याशी अंशय कालरा के आने के बाद मुकाबला काफी रोचक रहा है। निर्णय जो भी आए, लेकिन हार-जीत का अंतर काफी कम होगा। भाजपा नेता और दो बार के सांसद अजय मिश्र टेनी किसानों की नाराजगी से घिरे हैं। हालांकि, वह खुद की जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। उनके समर्थक और भाजपा के नेता मान रहे हैं कि केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की बदौलत जनसमूह का समर्थन भाजपा को मिला है।

हालांकि, आमजन के बीच यह भी चर्चा तेज है कि कांटे की टक्कर है। गठबंधन का पलड़ा भी भारी है। वहीं, सपा के उत्कर्ष वर्मा को लेकर पार्टी के नेताओं के साथ जनसमूह में यह चर्चा है कि अखिलेश यादव की जनसभा के बाद सीट के समीकरण बदले थे। गठबंधन का पूरा जोर रहा है। मुस्लिम मतदाताओं का पूरा सपोर्ट मिला है। सीट गठबंधन के खाते में जाती दिख रही है। यहां बसपा प्रत्याशी को मिले मतों के आधार पर जीत-हार तय होने के आसार हैं।

धौरहरा में भी कड़ी टक्कर
धौरहरा लोकसभा सीट की तस्वीर भी काफी रोचक है। भाजपा छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले श्याम किशोर अवस्थी ने भले ही भाजपा के समीकरण बिगाड़े हैं लेकिन क्षेत्र में मतदान के बाद जनसमूह में जो चर्चा चल रही है कि उसमें भाजपा का पलड़ा भारी बताया जा रहा है। जो समीकरण बताए जा रहे हैं, उससे भाजपा से दो बार की सांसद रेखा वर्मा की हैट्रिक भी लग सकती है।

वहीं, सपा के आनंद भदौरिया को लेकर जनसमूह में चर्चा है कि मुस्लिम मतदाताओं का सपोर्ट मिला है। इस बार वह भाजपा के विजय रथ को रोकने में कामयाब होंगे। हालांकि यह सपा, बसपा और भाजपा नेताओं की अपनी-अपनी कयासबाजी है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो श्याम किशोर के बसपा में जाने से भाजपा को जो नुकसान हुआ, चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी ने उसकी तेजी से भरपाई की। यहां भी जीत-हार का समीकरण दलित मतदाताओं के रुख पर ही निर्भर करेगा।

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