गुरु व शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश पर चार जून को वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए हम ज्ञानवापी जाएंगे, जहां तक अनुमति होगी.स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें उनके गुरू ने ज्ञानवापी में आकर शिवलिंग की पूजा करने का दिया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती फिलहाल मध्य प्रदेश में हैं और उनके आदेश पर वो खुद वाराणसी आए हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग पर जारी विवाद को लेकर कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि परिसर में मिले स्वरूप को शिवलिंग होने का अभी निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन हमारा मानना है कि इस बात का भी तो निर्णय नहीं हुआ है कि ये शिवलिंग नहीं है।”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शास्त्रों में प्रभु के प्रकट होते ही दर्शन करके उनकी स्तुति करने का, राग-भोग, पूजा-आरती कर भेंट चढ़ाने का नियम है। परंपरा को जानने वाले सनातनियों ने तत्काल स्तुति पूजा के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका।