लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में स्वयम आउटरीच वर्कशॉप का आयोजन विश्वविद्यालय के अटल सभागार में किया गया। बता दें कि सरकार द्वारा सभी शिक्षण संस्थाओं में स्वयम के माध्यम से डिजीटल शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है।
इसी श्रृंखला में ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ में कुलपति प्रो जेपी पांडेय की अध्यक्षता में स्वयम आउटरीच वर्कशॉप का आयोजन विश्वविद्यालय के अटल सभागार में सभी शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया।
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वर्कशॉप इंटीग्रेशन इंप्लीमेंटेशन ऑफ स्वयम कोर्सेज एंड नेशनल क्रेडिट फ्रेम वर्क उन्नति लाइट ऑफ NEP 2020 विषय रहा। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और माल्यार्पण से हुई। इसके बाद सभी रिसॉर्स पर्सन को शॉल और पौधा देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना भाषा विवि की डीन सामाजिक विज्ञान संकाय की प्रो चन्दना डे रखी। वर्कशॉप को संबोधित करते हुए रिसॉर्स पर्सन प्रो गीतांजलि मिश्रा, डीन अकादमिक सेल लखनऊ विश्वविद्यालय ने बताया कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने भारत के भविष्य के लिए एजुकेशन एंड स्किलिंग को अपनाने पर जोर दिया।
प्रो मिश्रा ने क्रेडिट सिस्टम के विजन और उद्देश्यों को समझाते हुए इसकी महत्ता को बताया। मिश्रा ने स्किल्ड बेस्ड एजुकेशन को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने डिजिटल शिक्षा को एक्सेप्ट करने की बात भी कही। प्रो मिश्रा क्रेडिट सिस्टम में अकादमिक बैंक क्रेडिट के बारे में भी विस्तार से बताया। आपने क्रेडिट सिस्टम के एडवांटेज को अच्छी तरह से स्वीकारने की भी सलाह दी।
प्रो मिश्र ने बताया कि अब पूरी शिक्षा को क्रेडिट के माध्यम से मूल्यांकन किया गया है। प्रो मिश्रा ने शिक्षा को थ्योरी और प्रैक्टिकल बेस्ड एजुकेशन में वर्गीकृत करने की बात कही। प्रो ट्रेनिंग को भी शिक्षा में सम्मिलित करते हुए इसकी महत्ता पर बल दिया। प्रो मिश्रा ने राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क को अपनाने पर भी जोर दिया।
वहीं वर्कशॉप के दूसरे सत्र को संबोधित करने हुए डॉ अंगना सेनगुप्ता, समन्वयक स्वयम NPTEL लोकल चैप्टर आईआईटी कानपुर ने बताया कि बदलाव में एक जनरेशन को अधिक मेहनत करनी होती है। उन्होंने बताया कि सभी शिक्षण संस्थाओं में नोडल अधिकारी नियुक्त करना है।
जिसके माध्यम से संस्था के शैक्षणिक माहौल को डिजिटलाइज्ड करना ही है। हमें विभाग में BOS के माध्यम से स्वयम के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण उपलब्ध कराना ही है। स्वयम एनपीटीईएल कोर्सेज को विश्वविद्यालय खुद ही परीक्षा करा सकता है। सभी कोर्सेज बिल्कुल निःशुल्क हैं। सभी कोर्सेज हिंदी, इंग्लिश में उपलब्ध हैं। अगर विश्वविद्यालय चाहे तो रीजनल भाषा में परीक्षा ले सकती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो जेपी पांडेय ने कहा कि शिक्षक समाज के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते हैं। कुलपति ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा आज की आवश्यकता है हमें उसे अपने शिक्षण में शामिल अवश्य करना चाहिए। उन्होंने स्किल्ड बेस्ड एजुकेशन, क्रेडिट सिस्टम और ABC पॉलिसी के अनुसार शिक्षण करना चाहिए।
वर्कशॉप का धन्यवाद ज्ञापन स्वयम की नोडल अधिकारी डॉ रुचिता सुजॉय चौधरी ने किया। डॉ चौधरी ने बताया कि अब समय आ गया है कि हमें डिजिटल एजुकेशन के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए। वर्कशॉप का संचालन पत्रकारिता विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ मोo नसीब ने किया। वर्कशॉप के दौरान प्रो मसूद आलम, प्रो हैदर अली, प्रो फखरे आलम, डॉ तथहीर फातिमा, डॉ नीरज शुक्ल, डॉ पूनम चौधरी, डॉ काज़िम रिज़वी, डॉ कौशलेश शाह, डॉ राजकुमार और डॉ उन्नीकृष्णन सहित विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक भारी तादाद में उपस्थित रहे।