काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वो है, जहां जागृति ही जीवन है। काशी वो है, जहां मृत्यु भी मंगल है। काशी वो है जहां सत्य ही संस्कार है। काशी वह है जहां प्रेम ही परम्परा है। इसीलिए यहां अगर आतताई औरंगजेब आता है तो ...
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