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Tag Archives: प्रियंका सौरभ

वायु प्रदूषण से लड़खड़ाता स्वास्थ्य

वायु गुणवत्ता बहुत खराब होने का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे रेस्पिरेटरी इश्यू, हार्ट प्रॉब्लम बढ़ने के अलावा और भी कई गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। हाई लेवल के वायु प्रदूषण के कारण कई तरह के प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। इससे श्वसन संक्रमण, ...

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कर्मचारी लगते टेंशन, नेताओं को कई पेंशन!

देश के अर्थशास्त्री और राजनेता पुरानी पेंशन योजना को लेकर जो बयान दे रहे हैं, वह तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि राज्य के विधायक और सांसद खुद कई-कई पेंशन ले रहे हैं। जबकि एक कर्मचारी जो साठ साल देश की सेवा करता है उसकी पेंशन बंद कर दी गयी है, क्यों ...

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क्यों झेल रही निराशा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा?

आशा कार्यकर्ता अपने निर्दिष्ट क्षेत्रों में घर-घर जाकर बुनियादी पोषण, स्वच्छता प्रथाओं और उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जागरूकता पैदा करते हैं। वे मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि महिलाएं प्रसव पूर्व जांच कराती हैं, गर्भावस्था के दौरान पोषण बनाए रखती हैं, स्वास्थ्य ...

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सोचिये चैटजीपीटी पर कितने खतरे, कितने अवसर!

जब भी कोई नया अविष्कार या तकनीक आती है तो उसको लेकर तमाम संभावनाएं या आशंकाएं जताई जाती है। चैटजीपीटी को लेकर भी इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मानव जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के दिनों में, यूएस-आधारित नवीनतम एआई उपकरणों में से ...

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नकल विरोधी कानून: मेहनत की सिसकियां, नकल माफिया और राजनीतिक बैसाखियां

नकल विरोधी कानून सरकार की एक अच्छी पहल है परंतु इसमें एक और संशोधन करके यह शामिल किया जाना चाहिए कि जिस नेता या उसके रिश्तेदार करीबी का नाम पेपर लीक में हो उससे 10 सालों तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी जाए सारा खेल खत्म हो जाएगा। बार-बार ...

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महिला सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रही प्रियंका सौरभ

हिसार के आर्यनगर गांव की बेटी 28 वर्षीय युवा लेखिका ‘प्रियंका सौरभ’ की, जो मौजूदा समय में महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं और अपनी कलम से नारी जगत के लिए आवाज उठा रही हैं। दुनिया की प्रमुख और युवा महिला लेखिका जो हिंदी और अंग्रेजी के 10,000 से अधिक समाचार ...

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देश में अमृतकाल, बजट से मालामाल या बुरे होंगे हाल

अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है। केंद्रीय बजट से आम आदमी से लेकर उद्योग जगत को भी कई उम्मीदें हैं, कोरोना महामारी के बाद भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, ...

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खेलों के पीछे शर्मनाक खेल!

देश के जो खिलाड़ी विदेशी सरजमीं पर तिरंगे का मान बढ़ाते आए हैं. उन्हें अपने अधिकारों के लिए जंतर मंतर पर धरना देना पड़ रहा है. क्या ऐसे देश खेलों में आगे बढ़ेगा जहां लगातार खेल दुनिया में यौन उत्पीड़न के विवाद बढ़ते जा रहे हैं. देश को मेडल दिलाने ...

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केंद्र और राज्य सरकार के बीच पिसता आम आदमी

एक दशक से देश की सियासत में एक तरह की राजनीति कुछ अलग ही तरीके से चल पड़ी है, जिसके चलते छोटे-छोटे मामलों पर बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। केंद्र से अलग पार्टी की सरकार वाले राज्यों के पास अक्सर ...

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लोकतंत्र के मंदिर की फीकी पड़ी चमक!

संसद में कामकाज न चलने तथा शोर-शराबे के कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था से लोगों का विश्वास भी डिगता है। इसलिए यह बेहद जरूरी हो गया है कि संसद के सुचारू संचालन में बाधा बनने वाले नियमों में जल्द से जल्द सुधार किया जाए। हमारे संसदीय लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने ...

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