क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है। आज भी भारत ...
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गीतों के माध्यम से सामाजिक सुधारों का अलख जगाती महिलाएं
आज के परिवेश में यदि कोई कहता है कि कम शिक्षित या अशिक्षित महिलाएं घर की चारदीवारी तक ही सीमित हैं, तो वह गलत हैं, क्योंकि महिलाएं घर के कामकाज के साथ साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रही हैं. खासकर उन महिलाओं का इस ओर बढ़ना उत्साह पैदा ...
Read More »हर क्षेत्र में विराजमान है, नारी तू ही स्वाभिमान है
आदि काल से ही नारी, शक्ति के रूप में खुद को स्थापित करती रही है। जिसमें माता को आदि शक्ति के रूप में माना जाता है। उन्ही के अलग अलग रूपो का बखान हमें पढने को मिलता है। शिव शक्ति के वगैर अधूरे माने जाते है।उसी तरह हमारे इतिहास और ...
Read More »जगत का Ambika mandir
सरस्वती, नृत्य भाव में गणपति, महिषासुर मर्दिनी, नवदुर्गा, वीणाधारिणी, यम, कुबेर, वायु, इन्द्र, वरूण, प्रणय भाव में युगल, अंगड़ाई लेते हुए व दर्पण निहारती नायिका, शिशु क्रीडा, वादन, नृत्य आकृतियां एवं पूजन सामग्री सजाये रमणी आदि कलात्मक प्रतिमाओं का अचंभित कर देने वाली मूर्तियों का खजाना और आदित्य स्थापत्य कला ...
Read More »गणेश शंकर “विद्यार्थी” एक प्रखर पत्रकार एवं सुधारवादी नेता
गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का जन्म 26 अक्टूबर 1890 ईo को इलाहाबाद के अतरसुइया मोहल्ले में एक कायस्थ परिवार में हुआ। अतरसुइया में उनका ननिहाल था। पिता मुंशी जयनारायण उत्तर प्रदेश के हथगाँव फतेहपुर के निवासी थे। वे ग्वालियर रियासत में मुंगावली के ऐंग्लो वर्नाक्युलर स्कूल के हेडमास्टर थे। माता गोमती देवी ...
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