श्रेष्ठ साहित्यकार कभी आत्म प्रशंसा नहीं करते। भारतीय परंपरा में तो सदैव यह विचार परिलक्षित हुआ है। अपने छोटे बताना और फिर बड़ी बात कहना ही किसी को महान बनाता है। प्रसिद्ध कवि गोपाल दास नीरज ऐसे ही थे। अपने बारे में वह गुनगुनाते थे- इतने बदनाम हुए, हम तो ...
Read More »