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Tag Archives: rajasthan

पारंपरिक कालबेलिया नृत्य को पहचान दिलाती राखी

पुष्कर मेले (Pushkar fair) या कोई भी राजस्थानी त्यौहार, चमकीले कपड़े पहने कालबेलिया नर्तकियों के बिना अधूरा माना जाता है. इस नृत्य को 1980 के दशक में राजस्थान की एक बंजारा समुदाय की प्रसिद्ध नर्तकी गुलाबो सपेरा की बदौलत दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली है. काले आधार वाले रंग-बिरंगे घाघरा ...

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ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर इलाज की सुविधा नहीं है!

किसी भी देश या क्षेत्र की तरक्की इस बात पर निर्भर करती है कि वहां रहने वाले कितने पढ़े लिखे हैं और कितने सेहतमंद हैं. जहां भी इन दोनों अथवा दोनों में से किसी एक का भी अभाव हुआ है वहां विकास प्रभावित हुआ है. दुनिया के कई अति पिछड़े ...

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भोजपुरी पेंटिंग को पहचान दिलाती वंदना

बिहार में कला और संस्कृति के नाम मधुबनी पेंटिंग और भाषा के रूप में भोजपुरी विश्व पटल पर अपनी पहचान रखता है. आमतौर पर लोग भोजपुरी को केवल एक भाषा के तौर पर ही जानते हैं, जबकि कला के रूप में भी इसकी एक पहचान रही है. लेकिन वर्तमान समय ...

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लोहे को जीवन का आकार देती गड़िया लोहार महिलाएं

कृषि हमारे देश का एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है, भारत के पारंपरिक व्यवसायों में इसका उल्लेख किया गया है. इसीलिए कृतज्ञता के भाव में हम किसानों को अन्नदाता कहते हैं. लेकिन जिस चीज की अनदेखी की जाती है वह है लोहार का वह हाथ, जो किसानों को औज़ार प्रदान कर अनाज ...

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ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों के लिए एक उमंग- डॉ रणजीत सिंह फुलिया

सन 2004 में नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर डॉ. रणजीत सिंह फुलिया ग्रामीण क्षेत्रों के, विशेषकर हरियाणा और आस-पास के छह राज्यों-राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के 700 से अधिक सरकारी और निजी विद्यालयों के छात्रों को पढ़ाने और मार्गदर्शन देने का काम कर चुके ...

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राजस्थानी को कब हासिल होगा निज भाषा का गौरव?

मातृभाषा किसी भी देश या क्षेत्र की संस्कृति और अस्मिता की संवाहक होती है. इसके बिना मौलिक चिंतन संभव नहीं है. नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में रखने की बात कही गई है, लेकिन राजस्थान के लोग मातृभाषा में शिक्षा ...

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ब्राइड ट्रैफिकिंग : कुछ रिश्ते मीठे भी होते हैं

जानकी देवी और रीता दास रिश्ते में सास–बहु लगती हैं. वो कटिहार के धीमनगर की खेड़िया पंचायत की रहने वाली हैं और अपने गांव के दूसरे परिवारों से इतर, बहुत सुकून में हैं. वजह ये कि उन्होंने अपने घर की बेटियों की शादी बहुत सोच समझ कर की है. जानकी ...

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आवारा मवेशियों की समस्या का हल ज़रूरी

देशभर में आवारा मवेशियों की समस्या दिनोंदिन विकराल होती जा रही है. जहां एक ओर आवारा मवेशी सड़क हादसों का सबब बन रहे हैं, तो दूसरी ओर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आज शहर हो या गांव, आवारा मवेशियों के आतंक से कोई अछूता नहीं हैं. इनके यत्र-अत्र-सर्वत्र घूमने ...

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कर्मचारी लगते टेंशन, नेताओं को कई पेंशन!

देश के अर्थशास्त्री और राजनेता पुरानी पेंशन योजना को लेकर जो बयान दे रहे हैं, वह तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि राज्य के विधायक और सांसद खुद कई-कई पेंशन ले रहे हैं। जबकि एक कर्मचारी जो साठ साल देश की सेवा करता है उसकी पेंशन बंद कर दी गयी है, क्यों ...

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बदहाली का जीवन जीने को विवश गाड़िया लोहार समुदाय

जालोर/राजस्थान। ‘न हो कमीज़ तो पांव से पेट ढक लेंगे, ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिए.’ ‘दुष्यंत कुमार’ का यह शेर राजस्थान के जालोर जिला स्थित बागरा कस्बे में बदहाली का जीवनयापन कर रहे गाड़िया लोहार समुदाय की कहानी को बयां करता है. कड़ाके की ठंड में ...

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