वाह रे ठाकुर जी तुम ने गज़ब रचा संसार, चहुंओर मचा है हाहाकार, वाह रे ठाकुर जी………..! बेबसी का लगा हुआ अंबार, खोया अपनापन और प्यार, वाह रे ठाकुर जी…………! छद्मश्री को पद्मश्री उपहार, सच्ची कला हो रही भंगार, वाह रे ठाकुर जी…………! खूब बढ़ा काला कारोबार, मौन देख रही ...
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