चतुरी चाचा आज अपने प्रपंच चबूतरे पर चिंतित मुद्रा में बैठे थे। चबूतरे के पास पड़ी कुर्सियों पर कासिम चचा, मुन्शीजी, ककुवा व बड़के दद्दा विराजमान थे। नदियारा भौजी भी वहीं खड़ी थीं। सब लोग कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर बातें कर रहे थे। मैं भी उसी प्रपंच में शामिल ...
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