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हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के जरिए आज से खोजे जाएंगे टीबी मरीज

• 30 सितंबर तक चलेगा विशेष अभियान
• मरीजों की पहचान से लेकर इलाज तक की होगी पूरी व्यवस्था
• आशा करेंगी संभावित मरीजों की पहचान

लखनऊ। देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग यानि टीबी मुक्त बनाने के प्रधानमंत्री के आह्वान के मद्देनजर अब प्रदेश के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को इस अभियान में शामिल किया जा रहा है। इन सेंटर पर टीबी मरीजों की पहचान से लेकर जांच व इलाज तक की व्यवस्था की गई है। मंगलवार से 30 सितंबर तक इन सेंटर पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से टीबी के मरीज खोजे जाएंगे और उनका इलाज किया जाएगा। पूरे अभियान में प्रदेश में तीन लाख सैंपल जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक की ओर से प्रदेश के सभी डीएम और सीएमओ को जारी पत्र के मुताबिक आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में भ्रमण कर ऐसे समस्त संभावित मरीजों की पहचान करेंगी और एएनएम के माध्यम से मरीज का सैंपल लेकर नजदीकी जांच केन्द्र पर जांच कराई जाएगी। इसके अलावा जो व्यक्ति खुद अपनी जांच कराना चाहता है उसे जांच केन्द्र पर रेफर किया जाएगा।

पत्र के अनुसार कम्युनिटी हेल्थ अफसर (सीएचओ) अपने क्षेत्र की गतिविधियों के संपादन के लिए जिम्मेदार होंगे। उन्हें तीन उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का चयन करना होगा। ये क्षेत्र होंगे- जहां विगत दो वर्षों में अधिक क्षय रोगी अथवा कोविड मरीज मिले हों और जो क्षेत्र आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूरस्थ क्षेत्र हों। सीएचओ इन क्षेत्रों में हफ्ते में एक बार कैंप भी लगवाएंगे। इसलिए जिसको भी दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आ रही हो, बुखार बना हो, वजन गिर रहा हो, रात को सोते समय पसीना आता हो, भूख न लगती हो वह लोग सेंटर पर पहुंचकर टीबी की जांच जरूर कराएं।

पोषण के लिए हर माह मिलेंगे 500 रुपए

उपचार पर रखे गए टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपए प्रतिमाह निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे बैंक खाते में भेजे जाते हैं। इसके लिए टीबी मरीजों के बैंक खाता का विवरण एवं पहचान पत्र सीएचओ/आशा द्वारा सम्बन्धित एसटीएस को उपलब्ध कराया जाएगा।

जागरूकता पर होगा जोर

टीबी को मात देकर स्वस्थ हुए लोगों में से चयनित टीबी चैम्पियन लोगों को अपने अनुभव के आधार पर बताएँगे कि टीबी के लक्षण नजर आएं तो जाँच जरूर कराएँ। समय से जाँच और उपचार से टीबी को बहुत जल्दी मात दिया जा सकता है। बस ध्यान यह रखना है कि दवा का पूरा कोर्स करना है क्योंकि बीच में दवा छोड़ने से वह गंभीर रूप ले सकती है और उसका इलाज लंबा चल सकता है। इसके अलावा सीएचओ क्षेत्र के स्कूलों में हर हफ्ते क्षय रोग पर गोष्ठी आदि आयोजित कर क्षय रोग के प्रति जागरूकता फ़ैलाने का भी काम करेंगे।

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