मध्य प्रदेश। महाकलेशवर की नगरी उज्जैन में, शिक्षा पर एक संगोष्ठी क आयोजन किया गया। बुधवार को हुई इस संगोष्ठी को राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी. के. शर्मा के जन्मदिवस पर, संस्था के ही तत्वावधान में आयोजित किया गया था। भारतीय संस्कृति के परिपेक्ष्य में शिक्षा विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में, उज्जैन विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, संस्था के राष्ट्रीय संयोजक डॉ.शहावुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख उपस्थित थे। वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व संभागायुक्त , भोपाल, अशोक कुमार भार्गव उपस्थित थे। साथ ही नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। शिक्षा से जुड़े इस आयोजन में इन सभी ने अपने बहुमूल्य मंतव्य श्रोताओं के सामने रखे।
डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने सुनाया दोहा, बतायी गुरु की महिमा-
डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि- विवेकानंद जी, गावस्कर, सचिन तेंदुलकर आदि सभी के अगर गुरु ना होते तो उनका वह रूप नहीं होता जो आज हमें दिखाई देता है और उन्होंने गुरु की महिमा बताते हुए कहा कि -यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। सीस दिए गुरु मिले, तो भी सस्ता जान मुख्यअतिथि-
“भारतीय संस्कृति विश्व में महान है”-डॉ.शहावुद्दीन
डॉ.शहावुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, राष्ट्रीय संयोजक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, पुणे, महाराष्ट्र ने कहा- भारतीय संस्कृति विश्व में महान है। इसमें बहुरंगी संस्कृतियों का समावेश है। भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ -च्यवन, ब्रह्म ऋषि वशिष्ठ, धनवंतरी , भार्गव, पाराशर , जैमिनी , अगस्त आदि ऋषि मुनियों ने इस संस्कृति को विकसित किया है। आज शिक्षा में सबसे बड़ा संकट मूल्यों का है। वर्तमान शिक्षा व्यक्तिगत होती जा रही है।
विशिष्ट अतिथि और मुख्य अतिथियों ने भी दिए अपने मंतव्य
विशिष्ट अतिथि डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली ने कहा कि- संस्कृति का निर्माता मनुष्य है। जो कुछ हमारा सामाजिक व्यवहार है। वही संस्कृति है। शिक्षा भी संस्कृति में ही आती है। संस्कृति निरंतर बदलती रहती है। वहीं मुख्य अतिथि अशोक कुमार भार्गव , पूर्व संभागायुक्त , भोपाल ने कहा कि,”भारतीय संस्कृति में सब को अपने में सम्मिलित करने की ताकत है। सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया। शिक्षा हमारे जीवन के जितने भी प्रश्न हैं। उनका उत्तर देती है।
“मैंने भारतीय संस्कृति से पाया धर्म, शिक्षा, ज्ञान”-वी. के. शर्मा
राष्ट्रीय अध्यक्ष वी. के. शर्मा ने कहा कि मैंने भारतीय संस्कृति से बहुत कुछ पाया है। धर्म, शिक्षा, ज्ञान। हमें जीवन में बांटते रहना चाहिए । भारतीय संस्कृति जमीन और मिट्टी से जुड़ी हुई होने के कारण इसका विनाश नहीं हुआ। डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता, रायपुर ने कहकि-विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने गांधी जी के शब्दों को दोहराया शिक्षा से मेरा अभिप्राय व्यक्ति के मन शरीर और आत्मा से है। विशिष्ट वक्ता डॉ. अनुसुइया अग्रवाल, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने कहा कि- “मनुष्य को कदम-कदम पर उन्नति देना सभ्यता का काम है । परंतु उसे उत्तम बनाना संस्कृति है।”
संगोष्ठी के आयोजन दौरान, अभिनंदन पत्र का वाचन राष्ट्रीय प्रवक्ता, सुंदर लाल जोशी जी ने किया। वहीं कार्यक्रम का सुरुचिपूर्ण संचालन डॉ. रश्मि चौबे, मुख्य महासचिव महिला इकाई, ग़ाज़ियाबाद, ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सुंदरलाल जोशी, उज्जैन द्वारा गायी हुई सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव, पुणे, महाराष्ट्र ने दिया और डॉ. सुरेखा मंत्री, संयोजक, महाराष्ट्र ने शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है कहते हुए अपनी प्रस्तावना दी। आभार प्रदर्शन डॉ.प्रभु चौधरी ,महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन ने किया।कार्यक्रम में डॉ. रोहिणी डाबरे, महाराष्ट्र, डॉ. भुवनेश्वरी जायसवाल, छत्तीसगढ़, शर्मिला पांचाल आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।