लखनऊ। नगर निगम की मनमानी उस समय उजागर हो गई जब उसके कर्मचारियों ने विवेक खण्ड 3, गोमतीनगर में केवल एक ही गेट को खोला तथा बाकी अन्य चार गेटों के सम्बन्ध में कोई कार्रवाई नहीं की। बता दें कि विवेक खण्ड 3 गोमतीनगर में रास्तों को अवरुद्ध कर पांच गेट लगा दिए गए हैं, जिससे आसपास के वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों, महिलाओं को बहुत लम्बा चक्कर लगा कर बाजार जाना पड़ता है। विशेषकर रात में बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। जबकि सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध कर गेट लगाना पूर्णतया गैरकानूनी है तथा नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन भी है।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार सड़क को गेट लगाकर अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। इसके पूर्व 2018 में माननीय उच्च न्यायालय के सर्वे के दौरान इन गेटों को खोल दिया गया था और बाद में पुनः कर दिया गया। आलम यह है कि गेट कुछ लोगों की मर्जी के अनुसार ही खुलते और बन्द होते हैं।
रास्ते को अवरुद्ध करने वाले इन अवैध गेटों को गिरवाने के लिए 12 अक्टूबर 2021 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन, जिलाधिकारी तथा चीफ जस्टिस, माननीय उच्च न्यायालय को पत्र लिखे गए थे। परन्तु नगर निगम के द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। आज नगर निगम के अधिकारियों ने स्थानीय नागरिकों के विरोध के बाद एक गेट का ताला खोल दिया। वहीं स्थानीय नागरिकों की मांग थी कि सभी अवैध गेटों को गिरा कर मार्गों को खोला जाए परन्तु अधिकारियों ने अपना रुआब दिखा कर बाकी गेटों के सम्बन्ध में कोई भी कार्यवाही नहीं की। यहाँ तक कि अधिकारियों के साथ आये गार्डों ने नागरिकों को धमकाया भी तथा वरिष्ठ नागरिकों से अभद्रता भी की।
स्थानीय नागरिकों ने इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा, मण्डलायुक्त लखनऊ मण्डल तथा नगर आयुक्त नगर निगम, लखनऊ से नगर निगम के मनमाने रवैए की शिकायत की है तथा यह भी मांग की है कि विवेक खण्ड 3, गोमतीनगर में सभी गेटों को गिरा कर अवरुद्ध मार्गों को खोला जाए।