समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि शांति पूर्वक धरना देना लोगों का संवैधानिक अधिकार है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लेख तो संविधान की प्रस्तावना में भी है। लेकिन भाजपा सरकार को असहमति और विरोध से खासा एलर्जी है। वह विपक्ष के प्रति असहिष्णुता का प्रदर्शन करती है। हर मंच से गोली की बात करने वाले संवैधानिक मूल्यों की बात कब करेंगे?
अभी आजमगढ़ के बिलरियागंज इलाके में जो हुआ उससे उत्तर प्रदेश पुलिस का चेहरा बेनकाब हुआ है। यहां बर्बरता की सभी हदें पुलिस ने पार कर दी हैं। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रही माता-बहनों पर बेरहमी से लाठीचार्ज करना और पथराव करना किस ट्रेनिंग का हिस्सा है? लखनऊ में भी घंटाघर चौक में शांतिपूर्ण धरना दे रही महिलाओं के साथ भी पुलिस का व्यवहार क्रूरतापूर्ण हैं। धरना देने वाली महिलाओं की गिरफ्तारी और ठण्ड में उनके कम्बल तक छीन लेने की घटनाएं निंदनीय है।
भाजपा सरकार के विरोध में आए लोगों पर प्रशासन द्वारा तरह-तरह के जुल्म ढाए जा रहे हैं। उनके घरों में दबिश डालने, गिरफ्तारी करने के अलावा प्रशासन जुर्माने की नोटिसें जारी कर रहा है। अलीगढ़ में एक हजार लोगों को नोटिसें जारी कर पूछा गया है कि उन पर क्यों न कार्रवाई की जाए? इलाहाबाद, वाराणसी और अन्य कई जनपदों में भी हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर इसी तरह उत्पीड़न की कार्यवाहियां हो रही है।
शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शनों में महिलाओं की भागीदारी प्रशासन को चुनौती लगती है। इस सम्बंध में प्रशासकीय मशीनरी और भाजपा नेता तरह-तरह की खबरें फैला रहे हैं। झूठी खबरों को फैलाने के लिए झूठा प्रचारतंत्र खड़ा किया जाना गम्भीर विषय है। जनता के बीच भ्रम फैलाकर किसी को दोषी ठहराया जाना न्याय संगत नहीं हो सकता है। मातृशक्ति को अपमानित करके भाजपा को तो कुछ नहीं हासिल होना है हाँ, जागृत मातृशक्ति के आगे सरकार जरूर नहीं टिक पाएगी।