• विकास के नाम पर अवैध निर्माण को हटाने के लिये दायर पीआईएल से मचा है हड़कम्प
• 29 मई को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी है इस मामले से जुड़ी सभी जानकारियां
लखनऊ। लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद में सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिये तत्कालिक उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने न सिर्फ पुरातत्व विभाग के बिना अनापत्ति-पत्र के संरक्षित स्थल का 61 करोड़ से अधिक लागत से हरी-भरी पार्क और पेड़-पौधों को नष्ट कर विकास के नाम पर लक्ष्मण टीला की सुबूतों को मिटाने का भरकस प्रयास किया, बल्कि उसके उपरान्त हरकत में आये पुरातत्व विभाग के अवैध निर्माण को ढहाने और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के वर्ष 2016 में दिये गये आदेश को भी दरकिनार कर दिया।
जबकि लार्ड शेष नागेस्था टीलेश्वर महादेव विराजमान व अन्य के मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर 19 मार्च 2013 को हुये स्थलीय निरीक्षण में मन्दिर के अवशेष ईट का चट्टा, सीढ़ी, कुआं आदि पाये गये थे। जो अपने आप में लक्ष्मण टीला परिसर में पूर्व में बने मन्दिर की स्थिति को बयां कर रहे थे।
फिलहाल पुरातत्व विभाग ने अपने 2016 के आदेश का अनुपालन न होने पर एक बार फिर पुरातत्व विभाग ने एक बार फिर 6 दिसम्बर 2023 को विवादित परिसर में विकास के नाम पर हुये निर्माण को ढहाने को आदेश दिया।
इस आदेश के अनुपालन के लिये ऋषि कुमार त्रिवेदी एवं अन्य की तरफ से हाईकोर्ट लखनऊ खण्डपीठ में दायर की गयी पीआईएल के बाद से टीले वाली मस्जिद के मौलाना एवं शासन-प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है। दायर याचिका के बाद अब तक हुयी सुनवाई के बाद आगामी 29 मई को राज्य सरकार से भी इस मामले में जानकारी मांगी गयी है, और सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
तत्कालिक प्रदेश की अखिलेश सरकार से लक्ष्मण टीला के विवादित परिसर में बनी टीले वाली मस्जिद में सुविधाओं के लिये मस्जिद के मौलाना ने विकास की मांग उठायी थी, जिस पर अखिलेश सरकार ने सक्रियता दिखाते हुये इस कार्य को अंजाम दिया था।
बताया जाता है कि 28 जनवरी 2016 जिओ मैप में भी बताया गया कि टीले वाली मस्जिद समेत पूरे टीला कैंपेक्स के भीतर गुलाबी पत्थर से जितना निर्माण हुआ है वह सब अवैध है टीले के पूरब और पश्चिम में जो भारी मात्रा में खनन हुआ है वह सब अवैध है। 2016 के पहले वहां राजकीय उद्यान विभाग का सुंदर सार्वजनिक पार्क था पेड़ों को काटकर वह पार्क को खुदवा कर यह सारा का सारा अवैध निर्माण कराया गया था एवं लक्ष्मण टीला की उतरी सफेद बाउंड्री वॉल 2016 में अवैध रूप से बनाई गई थी।
जितना भी गुलाबी पत्थरों से निर्माण हुआ है वह सब अवैध है पुरातत्व एक्ट 1958 व नियम 1959 के विरुद्ध बिना एनओसी के निर्माण हुआ और इस पर जियो 28 जनवरी 2016 के अनुसार एलडीए के द्वारा 61 करोड़ 22 लाख का फंड एलडीए के द्वारा स्वीकृत किया गया जो निर्माण कार्य में लगा।
लक्ष्मण टीला मामले में निरन्तर आन्दोलनरत रहने वाली अखिल भारत हिन्दू महासभा ने हाईकोर्ट पर भरोसा जताया है कि लक्ष्मण टीला परिसर के आसपास बने अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण के पक्ष में निर्णय देगी। पार्टी का आरोप यह सब कार्य अखिलेश सरकार के कार्यकाल में मुस्लिमों को खुश करने के लिये किया गया था। यदि वर्ष 2017 में अखिलेश सरकार की वापसी होती तो लक्ष्मण टीला का पूरी तरह से अस्तित्व ही मिटा दिया जाता।