कर्नाटक विधानसभा चुनाव (karnataka assembly election) में तमाम उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। हार-जीत का फैसला शनिवार को होगा। कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) दोनों के लिए यह चुनाव अहम है। आगामी लोकसभा चुनाव पर कर्नाटक चुनाव प्रचार का असर पड़ना लाजिमी है।
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पर भाजपा के मुकाबले यह चुनाव कांग्रेस के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राज्य में डेरा डाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाद शायद कर्नाटक पहला राज्य है, जहां गांधी परिवार के तीनों सदस्य राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी ने चुनाव प्रचार किया है। स्थानीय नेताओं ने भी प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वर्ष 2014 और उसके बाद लगातार भाजपा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है। कर्नाटक ऐसा पहला चुनाव है, जहां कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने प्रधानमंत्री के कांग्रेस पर गाली देने के आरोप और बजरंग बली को मुद्दा बनाने पर पलटवार में भी देर नहीं की।
पिछले कुछ वर्षों में हुए कई राज्यों के चुनाव के मुकाबले कर्नाटक में कांग्रेस ने आक्रामक प्रचार किया है। वहीं, भाजपा रक्षात्मक रही। चुनाव घोषणा पत्र में बजरंग दल के जिक्र को भाजपा ने मुद्दा बनाने में देर नहीं की, पर कांग्रेस आक्रामक रुख अपनाए रही। यह पहली बार है कि पार्टी ने गृहमंत्री के खिलाफ थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई।