इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की नियमित होने से पहले की सेवा उसके पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभ में जोड़ी जाएगी।
कोर्ट ने जल संस्थान द्वारा अपनाई गई पेंशन नीति को भेदभाव पूर्ण करार देते हुए रिटायर कर्मचारी को दैनिक वेतनभोगी के रूप में की गई उसकी सेवा को पेंशन लाभ में जोड़कर भुगतान करने का निर्देश दिया है।
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अधिवक्ता त्रिपाठी का कहना था कि याची की दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी गई सेवा उसके पेंशन लाभ में जोड़कर उसे पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने जयप्रकाश केस में यह तय किया है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी, जो बाद में नियमित हो जाता है, उसे पुरानी पेंशन पाने का अधिकार है। प्रेम सिंह केस में भी सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने नियमितीकरण से पूर्व दी गई सेवा को पेंशन व अन्य परिलाभों के भुगतान में अनिवार्य रूप से जोड़ने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने जल संस्थान के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दयाशंकर की याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया है। अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची जल संस्थान में 1987 में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त हुआ। वर्ष 2006 में वह नियमित हो गया और अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त हुआ।