उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में एक महान योगी व सिद्ध महापुरुष थे,नाम था Devaraha baba देवरहा बाबा। देवरहा बाबा का जन्म कब हुआ किसी को पता नही है। उनकी सही उम्र का आंकलन भी किसी को नहीं है। कुछ लोग उनकी आयु नौ सौ साल,कुछ पाँच सौ साल और कुछ ढाई सौ साल मानते हैं। देवरहा बाबा ने 19 जून सन 1990 में दिन मंगलवार को योगिनी एकादशी के दिन अपने प्राण त्याग दिये थे।
हवा से ही खाने की चीज़े होती थी उत्पन्न : Devaraha baba
Devaraha baba उन सबको कुछ ना कुछ प्रसाद अवश्य देते थे जो उनके आश्रम में जाते थे। प्रसाद देने के लिए वो अपना हाथ मचान के ऊपर एक खाली स्थान पर रखते और उसके बाद उनके हाथ में मेवे,फल या फिर अन्य कोई खाद्य पदार्थ आ जाता था। कहा जाता है की मचान के ऊपर कुछ भी खाने की वस्तु नहीं रखी होती थी। वो हवा से ही खाने की चीज़े पैदा कर देते थे।
बबूल के पेड़ो पर नहीं होते थे कांटे
बताते हैं कि बाबा का जन्म किसी गर्भ से नहीं हुआ,वे जल से अवितरित हुए थे और वो जल के ऊपर भी चल सकते थे। बाबा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उन्हे कभी किसी ने सवारी से कहीं जाते हुए नहीं देखा। बाबा पशु पक्षियों की भाषा जानते थे। उन्हें पेड़ पौधे अति प्रिय थे, उनके आसपास उगने वाले बबूल के पेड़ो पर कांटे नहीं होते थे।
नेहरू, शास्त्री, इंदिरा गांधी भी थे बाबा के भक्त
घटना 1987 की है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बाबा के दर्शन करने जाना था। सरकारी अधिकारियों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां एक बबूल के पेड़ की डाल को काटने के निर्देश दिए। बाबा को पता चला तो उन्होंने एक अधिकारी को बुलाया और बोले कि,तुम्हारा पीएम यहाँ आएगा और तुम्हें प्रशंसा मिलेगी लेकिन दंड तो इस बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा। यह पेड़ मुझसे पूछेगा तो मैं इसे क्या जवाब दूंगा।
तुम्हारे लिए तो यह सिर्फ एक पेड़ है लेकिन मेरे लिए यह मेरा साथी है।
यह सब सुनकर अधिकारी ने अपनी मज़बूरी बताई। बाबा ने उस अधिकारी को तसल्ली देते हुए कहा कि चिंता मत करो तुम पर कोई बात नहीं आएगी क्योंकि तुम्हारे पीएम का प्रोग्राम कैंसिल हो जायेगा। आश्चर्य कि दो घंटे बाद ही पीएम आफिस से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है। बाबा के भक्तो में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी जैसे चर्चित नेताओं के नाम आते हैं।
राष्ट्रपति बनने के बाद बाबा को लिखा पत्र
आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जब इंदिरा गांधी हार गई तो वह भी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने गईं थी। बाबा ने उन्हें अपना हाथ उठा कर आशीर्वाद दिया और इसके बाद इंदिरा गाँधी ने पार्टी का चुनाव चिन्ह पंजे का निशान कर दिया। इसके बाद 1980 में इंदिरा के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत प्राप्त किया और वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। इसके अलावा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जब दो या तीन साल के थे तो अपने माता पिता के साथ बाबा से मिलने गए थे। बाबा ने उन्हें देखते ही कह दिया था की यह बच्चा तो राजा बनेगा। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने बाबा को एक पत्र लिखकर कृतज्ञता प्रकट की और सन 1954 के प्रयाग कुंभ में बाबा का सार्वजनिक पूजन भी किया।
पूरा जीवन लकड़ी के मचान पर बिताया
देवरहा बाबा ने पूरे जीवन अन्न नहीं खाया सिर्फ दूध व शहद पीकर जीवन गुजार दिया। श्रीफल का रस उन्हें बहुत पसंद था। बाबा ने अपना पूरा जीवन लकड़ी के मचान पर बिताया। लकड़ी के चार खम्बो पर टिकी मचान ही उनका घर थी। बाबा आठ महीने मचान पर रहते थे और बाकी वक़्त गंगा, प्रयाग, मथुरा और हिमालय में एकांत वास करते थे। देवरहा बाबा को खेचरी मुद्रा पर सिद्धि थी जिस कारण वे अपनी भूख और आयु पर नियंत्रण प्राप्त कर लेते थे। योग विद्या का उन्हे गहन ज्ञान था। देवरहा बाबा ध्यान, प्रणायाम, समाधि की पद्धतियों के सिद्ध पुरुष थे।
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