बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में गरबपुर गांव में दो पक्षों के बीच तनाव फैल गया। जिससे Hindu families ने गांव से पलायन शुरू कर दिया है। घटना बिजनौर जिले के कोतवाली देहात इलाके के गांव गरबपुर की है। सूत्रों के अनुसार दरअसल पिछले दिनों धर्मस्थल से लाउडस्पीकर उतारने पर दो पक्षों में तनाव शुरू हो गया था। सूत्रों के अनुसार इस मामले में ग्राम प्रधान और कुछ भ्रष्ट ग्रामीणों के आगे पुलिस और प्रशासन ने पीड़ित पलायनकर्ताओं की अनदेखी की गई। जिसके बाद से मामला गहराता चला गया और आखिरकार पीड़ित परिवारों को गांव से पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। इसमें दो परिवारों ने गांव मसूरी के जंगल में डेरा डाल लिया और एक परिवार ने पंजाब पलायन किया है। वर्ष 2016 में शामली के कैराना में हिंदू परिवारों की घटना हुई थी।
- जिसके बाद से बिजनौर में हुई पलायन की घटना के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है।
- जिसकी गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए प्रशासन ने पुलिस फोर्स तैनात कर दी है।
बिजनोर के गारवपुर गांव में देव स्थल पर लाउडस्पीकर को लेकर चल रहे विवाद में पुलिस प्रशासन की एक पक्षीय करवाई पर कई लोगो ने गांव से किया पलायन pic.twitter.com/y4Aody38Mw
— BREKING NEWS (@Sanjeev86997022) May 9, 2018
Hindu families, लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति नहीं
पुलिस के अनुसार फरवरी में बिना अनुमति के देवस्थान पर लाउडस्पीकर लगाया गया था। जिसकी शिकायत के बाद इसे हटवा दिया गया था, लेकिन एक मई को फिर वहीं लाउडस्पीकर लगा लिया गया। जिसे लगभग एक हफ्ते बाद फिर से हटवा दिया गया। जिसके बाद मामला गहराता चला गया और मजबूरी में हिंदू परिवारों को गांव छोड़कर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।
ग्राम प्रधान की प्रताड़ना से परिवारों का पलायन
सूत्रों के अनुसार गरबपुर ग्राम प्रधान ने ही लाउडस्पीकर लगाने की शिकायत की थी। दरअसल ग्रामप्रधान रंजिशन हिंदू परिवारों के खिलाफ आये दिन कोई न कोई षडयंत्र रचने की वजह से पलायन करने वाले परिवार परेशान हो गये थे। वहीं जिला प्रशासन और पुलिस की अनदेखी भी इस पूरे मामले में सबसे बड़ी वजह है। जिसने कभी पीड़ित परिवारों की सुनी ही नहीं। जिसके कारण अंत में पीड़ित परिवारों को मजबूरी में पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।
षडयंत्रकारी ग्राम प्रधान और भ्रष्ट ग्रामीणो की मिलीभगत से मामला गहराया
ग्रामप्रधान जबरन पीड़ित परिवार को परेशान करने के लिए मंदिर की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत करता था। जिससे पलायन करने वाले परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था। पीड़ितों ने बताया कि उनकी कोई सुनवाई नहीं होती थी। जिसके बाद अंतत: पीड़ित परिवारों ने हार मानकर पलायन करना पड़ा।