उप्र के बरेली जिले से ऑपरेट होने वाले अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स सिंडिकेट का दिल्ली हिंसा से कनेक्शन सामने आ चुका है। दिल्ली के शाहीन बाग में हुए धरना प्रदर्शन के तार भी यहां से जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। सिमी के सात पूर्व कार्यकर्ताओं का पीएफआइ से कनेक्शन तलाशने में भी खुफिया टीमें जुटी हुई हैं। हालांकि पुलिस स्पष्ट तौर पर कुछ कहने से बच रही है, लेकिन इनपुट जुटाए जाने की बात स्वीकार कर रही है।
24 फरवरी को दिल्ली के मौजपुर में भड़की हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल पर पिस्टल तानने वाले दंगाई शाहरुख पठान ने भागकर बरेली का रुख किया था। मीरगंज में रहने वाले एक ड्रग्स माफिया के संपर्क में वह रहा। शाहरुख को संरक्षण देने और मदद करने वाले कैराना निवासी जिस व्यक्ति को पुलिस ने पकड़ा है, वह भी अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्कर है, जिसके खिलाफ दिल्ली की नारकोटिक्स सेल में मामला दर्ज है। ऐसे में आशंका व्यक्तकी जा रही है कि शाहीन बाग धरना-प्रदर्शन और दिल्ली ¨हसा में ड्रग्स माफिया का बड़ा रोल हो सकता है। खुफिया टीमें इसकी जांच में जुट गई हैं।
आशंका इसलिए भी गहरा रही हैं क्योंकि खुफिया टीमों को शाहीन बाग प्रदर्शन में बरेली से मूवमेंट का इनपुट मिला है। फरवरी में पांच लोगों के नाम खुफिया टीम के हाथ लग चुके थे। इनमें बिहारीपुर और कोहाड़ापीर में रहने वाले व्यापारी शामिल थे। नवाबगंज कस्बे के भी लोग थे जोअक्सर धरना में शामिल होते थे और यहां के अन्य लोगों को वहां जाने के लिए उकसाते थे। फरवरी के पहले सप्ताह में जब यह इनपुट मिला था तब शाहरुख प्रकरण नहीं हुआ था। बाद में उसका पश्चिमी उप्र के ड्रग्स माफिया से कनेक्शन सामने आने के बाद बरेली के मीरगंज और फतेहगंज पश्चिमी के उस इलाके पर ध्यान गया, जो नशा तस्करों का गढ़ है। शाहरुख का पिता भी नशा तस्करी में लिप्त था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बरेली के कस्बा आंवला के मुहल्ला बजरिया का रहने वाला आरिफ दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में रहने लगा था। 30 जनवरी को पत्नी नाजिया और चार माह के बच्चे के साथ शाहीन बाग धरना में शामिल हुआ था। रात में ठंड लग जाने से अगले दिन बच्चे की मौत हो गई थी। जब उसका बरेली कनेक्शन सामने आया, तभी फरवरी के पहले सप्ताह में पुलिस ने यहां से शाहीन बाग जाने वालों की जानकारी जुटाई थी।
बरेली में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के स्लीपिंग मॉड्यूल रह चुके हैं। यहां की दो महिलाएं व पांच पुरुष इस संगठन के लिए काम करते थे। सिमी प्रतिबंधित हो गया मगर इंटेलीजेंस इनकी निगरानी लगातार करती है। इन लोगों में एक व्यक्तिकटरा चांद खां मुहल्ले में रहता है, इस वक्तमोबिल ऑयल की दुकान चला रहा है। पीलीभीत बाईपास की एक कॉलोनी में रहने वाला युवक दवा की दुकान चला रहा है। वहीं एक महिला सदस्य भी रहती है। इसी रोड की एक अन्य कॉलोनी में एक और महिला है जो कि दवा की दुकान चलाती है। बारादरी क्षेत्र में ही तीन अन्य युवक भी हैं, जो सिमी से जुड़े रहे थे।
दिल्ली हिंसा से जब पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) का नाम जुड़ा तब सिमी के पूर्व सदस्यों की लोकेशन भी तलाशी गई थी। सभी अपनी जगह पर मिले थे। पीएफआइ से कनेक्शन का आरंभिक इनपुट नहीं मिला मगर ये लोग निगरानी पर हैं। पीएएफआइ को सिमी का विस्तार माना जाता है।
राजेश कुमार पांडेय (डीआइजी, बरेली) के मुताबिक, शाहीन बाग प्रदर्शन में बरेली के कुछ लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली थी। फरवरी में मिले उस इनपुट के आधार पर पीएफआइ का कनेक्शन भी खंगाला गया था। मगर पुख्ता सूचना नहीं मिली।