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भारत की लोक संस्कृति दुनिया में सर्वाधिक समृद्ध है. इसमें समाज जीवन के प्रत्येक अवसरों से सम्बन्धित लोक गीत नृत्य और संगीत हैं.
भारत का जन मानस आदि काल से उत्सव धर्मी रहा है. यहां प्रकृति की सुन्दरता को देख कर श्लोकों की रचना हुई. महर्षि बाल्मीकि एक पक्षी पर बहेलिया द्वारा चलाने से व्यथित होते हैं.
उनके द्वारा काव्य का सृजन होता है. राष्ट्र भक्ति संबन्धी गीत संगीत की भी विशाल धरोहर है. स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी भी देश भक्ति गीतों को गुनगुनाते थे. आजादी के अमृत महोत्सव में साँस्कृतिक पक्ष भी रेखांकित हुआ।
इसी क्रम में राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने हर घर तिरंगा साँस्कृतिक समारोह को संबोधित किया. कहा कि भारतीय संस्कृति, कला और शिल्प विश्व भर में अनूठी और विशिष्ट है। यह विरासत,धरोहर है और जीवन शैली है। सामाजिक समरसता, देश की एकता,अखंडता और वैविध्य में एकता का सबसे महत्वपूर्ण सूत्र हमारी संस्कृतियों, ललित एवं प्रदर्शनकारी कलाओं और शिल्प कलाओं से होकर गुजरता है।
हमारे तिरंगे की आन-बान और शान बनी रहे, इसके लिये जरूरी है कि हम अपनी एकता को मजबूत रखें और अपनी आजादी की रक्षा के लिए,त्याग और बलिदान के उसी जज्बे से काम करें जिसके साथ हमारे शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की जंग लड़ी थी।