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विपक्ष में दिख रही बिचौलिया व्यवस्था की बेकरारी

वस्तुतः कृषि कानूनों किसानों की कठिनाई दूर करने के लिए ही लागू किया गया था। क्योंकि पिछली व्यवस्था में किसानों के अधिकार सीमित थे। बिचौलियों का बर्चस्व था। इससे किसानों को मुक्ति दिलाने का प्रयास किया गया। लेकिन बिडम्बना यह कि जो लोग सत्ता में रहते हुए यूरिया की कालाबाजारी रुओ नहीं सके,वह अपने को किसानों कर हितैषी बता रहे है। विपक्ष की नकारात्मक राजनीति चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का तुलनात्मक विवरण पेश किया। उन्होंने इशारों में पंजाब सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया। अमरिंदर सिंह की सरकार ने किसान सम्मान निधि योजना लागू ही नहीं की है।

इनको किसानों के हित से नहीं अपनी राजनीति से ही मतलब है। यूपीए में किसानों से छल किया गया। जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है। वह लोग किसान कानून पर झूठ फैला रहे है। पिछली सरकारों कर समय न्यूनतम समर्थन मूल्य तो घोषित होता था। लेकिन एमएसपी पर खरीद बहुत कम की जाती थी।

किसानों के नाम पर बड़े बड़े कर्ज माफी के पैकेज घोषित किए जाते थे, लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी बड़ी योजनाएं घोषित होती थी लेकिन वह खुद मानते थे कि एक रुपए में से सिर्फ पन्द्रह पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं। अब एक एक पाई किसानों तक पहुंच रही है।

किसान सम्मान निधि

देश के दस करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी सम्मान राशि पहुंचाई जा रही है। अब तक लगभग एक लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है। यूपीए सरकार के समय यूरिया की कालाबाजारी होती थी। किसानों की जगह उद्योगपतियों को यूरिया पहुंचाई जाती थी। किसानों पर लाठी चार्ज होता था। वर्तमान सरकार ने यूरिया की कालाबाजारी रोकी। नीमकोटिंग की। इससे किसानों को यूरिया मिलने लगी। मोदी ने कहा कि हमने यूरिया की कालाबाज़ारी रोकने का वादा किया था। उसे पूरा किया। अब किसान को पर्याप्त यूरिया मिल रही है। बीते छह साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बंद थी, तब भी दिक्कत नहीं हुई। कृषि मंडी समाप्त करने की बात को झूठ है। यह सरकार तो मंडियों को आधुनिक बना रही है। नए कृषि सुधारों से विकल्प दिए गए हैं।

मंडी से बाहर हुए लेन देन गैरकानूनी माना जाता था। इसपर छोटे किसान को लेकर विवाद होता था,क्योंकि वे मंडी पहुंच ही नहीं पाते थे। लेकिन अब छोटे से छोटे किसान को विकल्प दिए गए हैं। अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो,उस पर भी रोक लगाई नहीं लगाई गई है। रिपोर्ट यूपीए के समय आ गई थी। लेकिन उसने इसे लागू नहीं किया। नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया है।

गेहूं धान की खरीद और उसके भुगतान के पिछले सभी रिकार्ड बहुत पीछे छूट गए है। अब गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण,कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं की जा रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया गया है। देश के इतिहास में पहली बार किसान रेल शुरु की गई है। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे हैं,बड़े शहरों तक उनकी पहुंच बढ़ रही है। उनकी आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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