लखनऊ। आज संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में संस्कृत महोत्सव के आयोजन के अंतर्गत चतुर्थ दिवस में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। आज के विशिष्ट व्याख्यान के व्याख्याता बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के संस्कृत विभाग के अध्यक्षचर वरेण्य आचार्य प्रो उमेश प्रसाद सिंह थे। उन्होंने वेद के निहितार्थ को सरल भाषा में अपने अनुभव के आधार पर प्रस्तुत किया। वेद का त्रयी नाम शैली के आधार पर है। निगम, आम्नाय, छन्दस्, श्रुति आदि नाम विभिन्न विशेषताओं के आधार पर हैं। मनुस्मृति में वेद को समस्त ज्ञान का आधार बताया गया है सर्वज्ञानमयो हि स:।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के विभागाध्यक्षचर प्रो रामसुमेर यादव ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को विद्या सीखते हुए विनय को धारण करने का उपदेश दिया। छात्रों को कर्म करते हुए आगे बढ़ने को प्रेरित किया। वेद कल्याण मार्ग पर चलने के लिए सूर्य और चंद्रमा के समान निरंतर लोक कल्याण करते हुए आगे बढ़ने की बात कहता है- स्वस्ति पन्थामनुचरेम सूर्याचन्द्रमसाविव।
पुनर्ददताघ्नता जानता संगमेमहि।।
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कार्यक्रम का आरंभ वैदिक मंगलाचरण से सत्यम पांडे के द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना डॉ अमृता एवं सोनाली बाजपेई के द्वारा की गई। कार्यक्रम में विभाग के सभी अध्यापक उपस्थित रहे। सभा का संचालन डॉक्टर अशोक कुमार शतपथी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर सत्यकेतु के द्वारा किया गया। व्याख्यान का संयोजक विभाग के समन्वयक डॉक्टर अभिमन्यु सिंह रहें।