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भाषा के सवाल पर हुआ मुल्कों का बंटवारा: राजनाथ

लखनऊ। दुनिया की बड़ी क्रांतियां भाषा के सवाल पर हुई। भाषा के सवाल पर ही पाकिस्तान का विभाजन हुआ और बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बना। हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो हिंदुस्तान में सर्वाधिक बोली जाती है। यह देश को जोड़ने का काम करती है। यह बात गाँधी भवन में गाँधी जयंती समारोह ट्रस्ट, बाराबंकी के तत्वावधान में हिन्दी दिवस पर आयोजित ‘हिन्दी की वर्तमान स्थिति चुनौतियां एवं समाधान’ विषयक संगोष्ठी में समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने कही।

श्री शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी, डा. राममनोहर लोहिया, गुणाकर मूले, चक्रवती राजगोपालाचारी, मधुलिमये, लाडली मोहन निगम सरीखे राजनेता हिन्दी के सबसे बड़े पैरोकार थे। डा. लोहिया के संसद पहुंचने से पहले देश के लगभग सभी संसद सदस्य अंग्रेजी भाषा में भाषण देते थे। जिनमें कांग्रेस, जनसंघ, कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता शामिल थे। डा. लोहिया ने लोकसभा पहुंचते ही हिन्दी का चलन शुरू किया। इस दौरान सामाजिक दूरी का पूर्णतया पालन करते हुए डॉ. राममनोहर लोहिया के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।

सभा की अध्यक्षता कर रहे जिला पत्रकार समन्वय समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार हसमत उल्ला ने कहा कि आजादी के बाद हिन्दी को राजभाषा का दर्ज दिया गया। लेकिन सात दशक बीत जाने के बाद भी हिन्दी को वह सम्मान नही मिल पाया जो मिलना चाहिए। यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। अंग्रेजी भाषा हिन्दी पर हावी हो गई है। हमे बोलचाल और कामकाज में हिन्दी भाषा का प्रचलन शुरू करना चाहिए। तभी हिन्दी को उचित सम्मान मिल सकता है। हिन्दी बोलचाल में आसान और सरल जबान है। हमे संकल्प लेना होगा कि भविष्य में हम अपने सभी काम हिन्दी भाषा में करेंगे।

इस मौके पर प्रमुख रूप से विनय कुमार सिंह, अनिल श्रीवास्तव, मृत्युंजय शर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सत्यवान वर्मा, तरुण मिश्रा, मनीष सिंह, पीके सिंह, संजय सिंह, नीरज दुबे, राहुल यादव, मो अदीब इकबाल, अनिल यादव, मो. तौसीफ अहमद, शौकत अली, मुगेश सिंह, ज्ञान शंकर तिवारी, विजय कुमार सिंह सहित की लोग मौजूद रहे।

रिपोर्ट-शाश्वत तिवारी

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