नई दिल्ली। विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाने के बारे में कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने अंदर खाते सहमति दे दी है। हालांकि इसका रस्मी तौर पर ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन शनिवार को नवजोत सिद्धू के हावभाव ने काफी कुछ बयान कर दिया। चंडीगढ़ में शनिवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी मामलों के प्रभारी हरीश रावत की बैठक चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ नवजोत सिद्धू सुबह ही तैयार होकर पटियाला से चंडीगढ़ पहुंच गए और उन्होंने मंत्रियों-विधायकों के घर-घर जाकर उनसे मुलाकात की। सिद्धू के इस मेल-मिलाप अभियान को प्रदेश प्रधान के तौर पर बाकी नेताओं का समर्थन हासिल करने की कवायद माना जा रहा है। वहीं कैप्टन से मुलाकात के बाद हरीश रावत ने भी कहा कि कैप्टन आलाकमान की बात मानने को तैयार हैं तो सिद्धू की प्रधानगी की राह की आखिरी अड़चन भी दूर हो गई।
- आलाकमान की तरफ से हरी झंडी, औपचारिक ऐलान बाकी
- कैप्टन की ‘हां’ के बाद दूर हुई आखिरी अड़चन
नवजोत सिद्धू सबसे पहले पंजाब प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा प्रधान सुनील जाखड़ के पंचकूला स्थित आवास पर पहुंचे। जाखड़ ने भी गले मिलकर सिद्धू का स्वागत किया और दोनों काफी खुश नजर आ रहे थे। हालांकि मीडिया से बातचीत में सिद्धू ने जब यह कहा कि सुनील जाखड़ के साथ उनकी जोड़ी हिट भी है और फिट भी है, तब जाखड़ चुप्पी साधे रहे।
इसके बाद नवजोत सिद्धू चंडीगढ़ सेक्टर 39 स्थित पंजाब सरकार के मंत्रियों और अन्य सीनियर नेताओं के आवास पर मुलाकात के लिए पहुंचे। मंत्री कांप्लेक्स में सिद्धू पैदल ही एक के बाद एक मंत्रियों के घरों तक जाते रहे और उनसे मुलाकात की। इनमें कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, बलबीर सिंह सिद्धू, गुरप्रीत सिंह कांगड़, पंजाब मंत्री बोर्ड के चेयरमैन और पूर्व मंत्री लाल सिंह समेत सिद्धू ने कई मंत्रियों के अलावा विधायकों से भी मुलाकात की।
मेल-मिलाप के इस अभियान के दौरान सिद्धू जिन कांग्रेस विधायकों से मिले, उनमें अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कुलबीर सिंह जीरा, दर्शन सिंह बराड़, दविंदर सिंह घुबाया शामिल हैं। सिद्धू इन विधायकों से कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के आवास पर मिले। इस दौरान सिद्धू ने मीडिया से दूरी बनाए रखी और मंत्रियों-विधायकों के साथ अपनी मुलाकात के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
नवजोत सिद्धू के इस बदले हुए रूप को देखकर सियासी हलकों में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे। अब तक कैप्टन से मनमुटाव के चलते बीते साढ़े साल की अवधि में करीब दो साल तक सिद्धू ने सियासी गतिविधियों से दूर रहते हुए चुप्पी साधे रखी थी। उन्होंने दो साल के दौरान पंजाब विधानसभा के विभिन्न सत्रों में भी हिस्सा नहीं लिया था। पिछले कुछ महीने से जब उन्होंने मुख्यमंत्री पर अपने ट्विटर हैंडल के जरिए हमले तेज किए तो उस दौरान भी वे मुख्यमंत्री से नाराज नेताओं से मिलने के लिए खुलकर सामने नहीं आए थे।
शनिवार को जैसे ही वे सुनील जाखड़ के आवास पर पहुंचे तो जाखड़ के लिए भी उनका आना अप्रत्याशित था। सिद्धू आखिरकार जाखड़ से ही तो प्रदेश इकाई की प्रधानी छीनना चाह रहे हैं। फिर भी जाखड़ ने मंझे हुए सियासी नेता के रूप में सिद्धू के स्वागत में कोई कोताही नहीं बरती। भले ही इस बारे में उन्होंने कोई भी टिप्पणी देर शाम तक नहीं की थी। जाखड़ से मुलाकात के बाद सिद्धू का प्रदेश के सीनियर नेताओं से मिलना यही संकेत दे रहा है कि हाईकमान ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला ले लिया है और इस बारे में सिद्धू को भी बता दिया गया है।