पश्चिमी बंगाल के शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरु कर दी है। जिसके चलते पांच जिलों में शिक्षक बच्चों को तम्बाकू उत्पादों से बचाने के लिए जागरुक किया गया। ये सभी शिक्षक अब अपने-अपने शिक्षण संस्थानों में बच्चों को तंबाकू उत्पादों की लत न लगे इसके लिए सकारात्मक रुप से पहल करेंगे। शिक्षा विभाग, पश्चिम बंगाल द्वारा संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) और नारायण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, हावड़ा द्वारा तकनीकी सहायता से कोलकाता, बैरकपुर, पश्चिमी बर्धमान, सिलीगुड़ी और हुगली में कार्यशाला आयोजित की गईं।
शिक्षा विभाग के राज्य सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अरुण के चटर्जी ने कहा, शिक्षकों के माध्यम से तंबाकू न करने का संदेश सकारात्मक रुप से जायेगा, तो इसके परिणाम भी सामने आएंगे। इससे बच्चों का शरीर स्वस्थ होगा और वे मानसिक रुप से भी सुदृढ़ होंगे। तंबाकू महामारी पर लोगों को संवेदनशील बनाना इन कार्यशालाओं का मुख्य उद्वेश्य था। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) ने राज्य् के विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ कार्यशाला में तंबाकू के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में चर्चा की।
कार्यशालाओं मे शैक्षिक संस्थांनों को तम्बाकू मुक्त बनाने के दिशानिर्देशों का प्रभावी अनुपालन के लिए विस्तार से बताया गया। जिसमें शैक्षिक संस्थानों के भीतर तंबाकू के उपयोग पर रोक, स्कूलों के 100 गज के भीतर तंबाकू उत्पादों की कोई बिक्री पर प्रतिबंध और हर शैक्षणिक संस्थान (ईआई) में अनिवार्य रूप से तंबाकू उत्पािदों के सेवन न करने संबंधी साइन बोर्ड का लगाया जान आवश्यंक है। दिशानिर्देशों के अनुसार प्रत्येक शैक्षणिक संस्थांनों द्वारा कम से कम प्रत्येक छह महीने में तंबाकू विरोधी गतिविधियों का संचालन करने की आवश्यकता होती है। इन गतिविधियों में पोस्टर, प्रतिज्ञा, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, निबंध प्रतियोगिताओं जैसी और अन्य विभिन्न गतिविधियों को प्रदर्शित करना शामिल है।
हर साल 1.5 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मौत
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस 2017) के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 2.3 करोड़ वयस्क (15 वर्ष से अधिक) तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू से संबंधित बीमारियों के कारण हर साल 1.5 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मौतें होती हैं। चिंताजनक बात यह है कि पश्चिम बंगाल में हर दिन 438 बच्चे तंबाकू की लत का शिकार हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के रेडियेशन ऑन्कोलॉजिस्ट शुभदीप बनर्जी ने शिक्षा विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “कैंसर से लड़ने के लिए तंबाकू का सेवन बंद करना अत्यंत आवश्यक है। कैंसर की रोकथाम और कई अन्य घातक बीमारियों को कम करने का तंबाकू सेवन को बंद करना सबसे अच्छा तरीका है।”
शिक्षकों ने लिया शपथ
कार्यशाला के दौरान सभी शिक्षकेां व अधिकारियों ने तंबाकू विरोधी शपथ भी ली। जिसमें नारायण सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, हावड़ा के सौरव दत्ता ने कहा, “अगर हम अपने बच्चों को ऐसे घातक उत्पादों से बचा पाएंगे तभी हमारी भावी पीढ़ी स्वस्थ हो सकती है। तंबाकू का उपयोग केवल और केवल हम में मृत्यु या विकलांगता पैदा करता है। शिक्षा विभाग के ये प्रयास हमारी भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा।”
इस दौरान कोलकाता, बैरकपुर, पश्चिम बर्धमान, सिलीगुड़ी और हुगली जिलों में स्कूलों ने अपने परिसर को तम्बाकू मुक्त बनाने की योजना बनाई है। जिसमें वे शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त बनाएंगे और बच्चों के साथ कई तरह की गतिविधियों का संचालन करेंगे। इन सभी कार्यशालाअेां में 5 जिलों के माध्यमिक और उच्चतर विद्यालयों के शिक्षकों ने भाग लिया।